आतंकवाद विरोधी दिवस पर ‘IPS’ असफर की कलम से विशेष..

‘रतन लाल डांगी’..

राजनांदगांव.आतंकवाद एक शब्द मात्र नहीं है यह मानव जाति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा खतरा है जिसे मानव ने खुद निर्मित किया है कोई भी एक इंसान या समूह मिलकर यदि किसी जगह हिंसा फैलाये, दंगे फसाद , चोरी, बलात्कार, अपहरण, लड़ाई-झगड़ा, बम ब्लास्ट करता है तो ये सब आतंकवाद है.आतंकवाद की कोई, सीमा, जाति और धर्म या पंथ नहीं है। यह दुनिया भर में फैला है और समाज में और राजनीतिक समूहों के रूप में निराशा पैदा करता है यह धार्मिक कट्टरपंथियों और गुमराह गुटों में अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रहा है।
वे अपने संकीर्ण, सांप्रदायिक और अपवित्र उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हर तरह की असामाजिक और गैर-सरकारी गतिविधियों में शामिल होते हैं। हिंसा का सहारा लेते हैं क्योंकि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थ होते हैं क्योंकि उसमें उनकी विभिन्न कमजोरियां निहित होती है।
आतंकवाद गैर कानूनी कार्य है, जिसका मकसद आम लोगों के अंदर हिंसा का डर पैदा करना है.
भारत में नक्सलवादीयों के रूप में पहली बार आतंकवाद को देखा गया था. 1967 में पहली बार बंगाल के क्षेत्र में कुछ लोग उग्र हो गए थे, अपनी बात मनवाने के लिए वे नक्सलवादी बनकर सामने आये थे.
आतंकवाद एक पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है पूरे विश्व मे इसका जहर इतनी तीव्रता से फैल रहा है यह पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरा बन गया है
शाब्दिक अर्थों में आतंकवाद का अर्थ भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धांत आतंकवाद कहलाता है l विश्व के समस्त राष्ट्र प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भाँति उभर आता है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान द्‌वारा भारत में आतकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरंतर पचास वर्षो से चली आ रही है ।हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है । यहाँ अनेक धर्मो के मानने वाले लोग निवास करते हैं । हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध,ब्रहम समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मो के अनुयाइयों को यहाँ समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं।
सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव व मानवता का संदेश देते है परंतु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते है
धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर देते है कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है।उनमें ईर्ष्या, द्वेष व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक पक्ष दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते हैं।
देश में आतंकवाद के चलते पिछले पाँच दशकों में 50,000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं। कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है । कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपने भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं।
इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी।
हमारे भूतपूर्व युवा प्रधानमंत्री स्व॰ राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने । अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है।वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे है।
पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है।धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून बहना आम बात हो गई है । प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है । खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पाँच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है।
आतंकवाद के कारण यहाँ का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।हजारों की संख्या में लोग वहाँ से पलायन कर चुके हैं।विगत वर्षो में इस आतंकवाद ने जितनी जाने ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है।
आतंकवाद के चलते खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है।ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं।आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं छोड़ा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए तथा अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा
आतंकवाद मानव सम्यता के लिए कलंक है । उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए।विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।
आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए पूरे विश्व को मिलकर एक व्यापक रणनीति बनानी होगी| आतंकवाद आज वैश्विक समस्या का रूप ले चुका है इसलिए इसका संपूर्ण समाधान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं प्रयासों से ही संभव हो पाएगा| इसमें संयुक्त राष्ट्रीय संघ, इंटरपोल एवं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को भी अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और आतंकवाद की समस्या को हमें जड़ से खत्म करना होगा।

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