कांग्रेस इस माह सम्मेलन और रैली से दलितों को रिझाने भिड़ी..

“शिवा कुमार”

नई दिल्ली. एसटी-एससी आंदोलन के बाद कांग्रेस ने अपने इस पुराने वोट बैंक को जो हिन्दू वोट बैंक में चला गया था।फिर से साधने के लिए दलित प्रकोष्ठ
को झोंक दिया है। इस कड़ी में अध्यक्ष नीतिन राउतकी अगुवाई में 23 अप्रैल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा
रहा है।
इसमें देश भर के दलित नेताओं को कांग्रेस से फिर जोडऩे के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करके तैयार की जा रही है। बीस साल से सुस्त पड़े इस प्रकोष्ठ का अध्यक्ष हाल में ही राउत को बनाए जाने के बाद से यकायक गर्मी आ रही है।फिर मुद्दा भी कांग्रेस को तुरूप के रूप में लग गया है।कर्नाटक छोडक़र छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान में भाजपा की सरकारें है
जहां इस साल चुनाव होने हैं। इन राज्यों में भाजपा की कांग्रेस से सीधी टक्कर मानी जा रही है। भाजपा के खुद दलित सांसद भी एसटीएसएसी आंदोलन से घबराए हुए हैं ऐसे में कांग्रेस इस वर्ग का दोबारा विश्वास जीतने की कोशिश करती है तो चुनाव में लाभ तय माना जा रहा है।

इनका होगा आंकलन..

राहुल गांधी के कांग्रेस के आलाकमान की ताजपोशी के बाद किए गए फेरबदल में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नीतिन राउत को दलित प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय प्रकोष्ठ बनाने से सब चौंक गए थे। सम्मेलन की सफलता से उनका जमीनी आंकलन हो पाएगा। मजे की बात है कि 29 अप्रैल को ही संगठन महासचिव गहलोत ने
तुरंत ही रामलीला मैदान में दलित रैली का निर्देश पेल दिया। इस वक्त की लू- गर्मी में और कर्नाटक चुनाव का भी ध्यान नहीं रखा गया।

यूपी में मायावती की बल्ले- बल्ले..

उत्तर प्रदेश भाजपा में दलित सांसदों की सीएम योगी से नाराजगी और उनको प्रधानमंत्री मोदी के तलब करने और हिदायत देने से कुछ हो या न हो लेकिन
बसपा नेत्री मायावती को अपनी दलित दुकान चमकाने का अवसर जरूर मिल गया है।

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