गरियाबंद का किडनी प्रभावित सुपेबेडा गांव इन दिनों राजनीति का आखाड़ा बन गया है. आये दिन किसी ना किसी पार्टी का कोई नेता गांव पहुंच रहा है और सूपेबेड़ा की समस्याओं पर बयानबाजी कर आपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगा है. प्रदेश की ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी नही होगी जिसने सुपेबेडा के लिए बहुत कुछ करने का दावा ना किया हो मगर इन नेताओं के दावे अबतक हकीकत में नही बदल पाये. दरअसल, सूपेबेड़ा में लगभग एक दशक से किडनी की बीमारी का प्रकोप छाया हुआ है. जिसके चलते यहां 5 सालों से भी ज्यादा समय से शहनाई नहीं बजी. दरअसल, आस-पास के इलाकों में किडनी का डर इस कदर घर कर गा है कि कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी को इस गांव में नहीं ब्याहना चाहता. जिसके चलते लगभग 5 सालों से यहां किसी लड़के की शादी नहीं हुई. या फिर
सुपेबेड़ा के पानी में फ्लोराइड, आयरन की मात्रा ज्यादा
बता दें सुपेबेड़ा के पानी में फ्लोराइड, आयरन और ऐसे ही तत्वों की अधिकता ज्यादा होने के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. पानी में मौजूद ये तत्व इतने हानिकारक हैं कि इसके चलते कुछ ही सालों में 64 मौतें हो चुकी हैं. गांव के लोगों की हड्डियां कमजोर हो गई हैं और कमर समय से पहले ही झुक गई है. लगभग हर घर में किडनी का एक मरीज, मतलब महीने में एक मौत और 15 दिन में एक नया किडनी मरीज सामने आ जाता है. जिसके चलते गांव की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है.
सुपेबेड़ा बना राजनीति का आखाड़ा
सुपेबेडा की इस तस्वीर को बदलने के लिेए अब तक तमाम पार्टियों के नेता दावे कर चुके हैं, लेकिन कुछ करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए. दूसरी पार्टियों को हालात के लिए जिम्मेदार ठहराना और खुद की पार्टी को सुपेबेडा वासियों का हितैशी बताने में किसी भी पार्टी ने कोई कसर नही छोड़ी. अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, नेताओं के लिए सुपेबेडा राजनीति का आखाड़ा बन गया है. जिसमें हर पार्टी ने अपनी जोर अजमाईश करके सुपेबडा के बहाने ना केवल गरियाबंद बल्कि पूरे प्रदेश में अपनी पार्टी के मनसूबों को भुनाने में लगे हैं.
हर घर में एक किडनी का मरीज
कोई सुपेबेडा को राजकीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहा है तो कोई पीड़ितो का ईलाज दिल्ली में कराने की मांग कर रहा है. वहीं कोई उनके दावों पर ही सवाल उठा रहा है, लेकिन नेताओं के दौरे और बयानबाजी से सुपेबेडा के लोगों को अबतक कोई फायदा होता नजर नही आ रहा है. ग्रामीण पहले भी दूषित पानी पी रहे थे आज भी वही दूषित पानी पीने पर मजबूर हैं.
सुपेबेड़ा पहुंचे भूपेश बघेल
सोमवार को सुपेबेड़ा पहुंचे छत्तीसगढ़ PCC प्रेसिडेंट भूपेश बघेल ने दावा किया है कि गांव में लगभग 150 से अधिक किडनी के मरीज हैं. यह वे मरीज हैं जो अभी किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. वहीं गांव में अब तक 65 से अधिक लोगों की दूषित पानी के चलते मौत हो चुकी है. यहां के लोगों की हालत यह है कि यहां कोई भी पिता अपनी बेटी को ब्याह कर नहीं भेजना चाहता. यहां जिनके पास थोड़ी बहुत जमीन थी आज वह भी बिक गई है. किडनी की बीमारी के चलते हुए खर्च के कारण यहां के लोग अब दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.