बिलासपुर. रविवार की शाम हाॅटल सेंट्रल पाॅईंट के सभागार में कलेक्टर डाॅ संजय अलंग के मुख्य आतिथ्य एवं डाॅ. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोगकी अध्यक्षता तथा नंदकिशोर तिवारी , संपादक छत्तीसगढ़ी पत्रिका लोकाक्षर, डाॅ. परदेशी राम वर्मा,वरिष्ट कथाकार भिलाई, विक्रम सिंह, राजभाषा अधिकारी, दक्षिण, मध्य पूर्व रेलवे , प्रभात कुमार राजभाषा अधिकारी एस.ई सी. एल. के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।सर्वप्रथम मंचस्थ पदाधिकारियों ने माँ वीणा पाणि के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों के स्वागत सत्कार के पश्चात् तुलसी देवी तिवारी की एकतिसवीं पुस्तक कहानी संग्रह ’आना मेरे घर का विमोचन मंचस्थ पदाधिकारियों द्वारा किया गया। संदर्भ साहित्यिक संस्था के अध्यक्ष श्री कृष्णकुमार भट्ट’पथिक, महासचिव डाॅ राजेश कुमार ’ मानस और उपाध्यक्ष डाॅ बुधराम यादव ने लेखिका का शाॅल श्रीफल से सम्मान किया। आपनी लेखन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए तुलसी तिवारी ने कहा- समाज ही मेरा साँचा है । इसमें उपस्थित समग्र विषय मेरी कहानियों की पीठिका बनते हैं और बनते रहेंगे। समाज को सही दिशा देना भी कहानियों का दायित्व है। मैंने छोटा सा प्रयास किया है।डॉक्टर संजय ने कहा कि तुलसी देवी तिवारी की कहानियां आज के परिवार पर केंद्रित है कहानी संग्रह की सभी कहानियां सामाजिक परिवेश व स्त्री शक्ति के बारे कहती है उन्होंने कहा कि तुलसी देवी की कहानियां है महिलाओं के बारे में विस्तृत रूप से कहा गया इस कहानी संग्रह कि एक लाइन जिसमें कहा गया कि महिला का कोई धर्म नहीं होता अपने आप पूरी कहानी का सारांश लिए हुए है तिवारी को इस कहानी संग्रह के लिए बहुत-बहुत बधाई वही डाॅ. परदेशीराम वर्मा ने कहा की तुलसी देवी तिवारी की कहानियां विभिन्न परिवेश वह विभिन्न विषयों से ली गई है कहानियों में कहीं भी एकरसता दिखाई नहीं देती । कहानीकार को कई भाषाओं का ज्ञान है कहानीकार सदैव अपनी कहानी में उपस्थित रहता है उसी तरह तुलसी अपनी सभी कहानियों में खुद उपस्थित रही है।डाॅ रेखा पालेश्वर, डाॅ अनिता सिंह ने कहा-तुलसी तिवारी गहरे अनुभव के साथ ही पैनी सामाजिक दृष्टि,युगयुगान्तर से समाज में उभरते अनेक स्वरों एवं भावों से निकलते शब्दों एवं स्वतंत्र सोच में आकार लेते चिंतन को सही दिशा देने में पूर्णतः समर्थ कथाकार हैं। डाॅ राजेश मानस, और श्री कृष्णकुमार भट्ट ’पथिक ने ’आना मेरे घर’ में संगृहित कहानियों को समय के आर-पार की कहानियाँ कहा। डाॅ राजेशकुमार मानस ने विमोचित कृति की परिचयात्मक समीक्षा की।विक्रम सिंह, श्री प्रभात कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नंदकिशोर तिवारी ने विमोचित कृति को .. सराहा है और कहा है कि तुलसी देवी तिवारी ओं की कहानियों का अंत लोगों को सोचने पर विवश कर देता है…….डाॅ विनय कुमार पाठक ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि तुलसी देवी तिवारी छत्तीसगढ़ की कहानी कारों मैं अग्रिम पंथी में है उनकी कहानियों पर वर्तमान में शोध किए जा रहे हैं और आगे भी उनकी कहानियों में सोच किए जाएंगे उनकी कहानी आना मेरे घर उनकी लोकप्रिय कहानियों का संग्रह है जिस पर रिसर्च किया जाना समीचीन है वही संचालन हरबंश शुक्ला ने किया।