रायपुर. भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अफसर शिवराम प्रसाद कल्लूरी पर सरकार ने कई बड़े मामलों की जांच सौंप रखी थीं, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है. कल्लूरी को हटाए जाने के पीछे एक सीधा-सादा सा यह कारण बताया जा रहा है कि वे अपने काम को बेहतर अंजाम नहीं दे पा रहे थे, लेकिन यह सच नहीं है. हकीकत में कल्लूरी अपने काम के साथ कुछ ऐसा कर रहे थे जो सरकार की नजर में खटक गया. हालांकि कम समय में उन्होंने जो कुछ किया उसके परिणाम स्वरुप उन्हें परिवहन विभाग में अपर आयुक्त बनाया गया है. नेताओं और अखबारवालों की भाषा में इस विभाग को मलाई छानने वाला विभाग भी माना जाता है.
सूत्रों का दावा है कि कल्लूरी 11 फरवरी को विजय नाम के एक शख्स के साथ दिल्ली गए थे. विजय के बारे में यह विख्यात है कि वह कभी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल कर पूर्ववर्ती सरकार के लिए मुसीबत खड़ी किया करता था. विजय ने पिछले कुछ साल से एक पूर्व कद्दावर नौकरशाह राजनेता से नजदीकियां बढ़ा ली थीं. सूत्र कहते हैं कि दिल्ली में विजय ने चिप्स घोटाले से जुड़े सारे कागजात उस सुपर सीएम को सौंप दिए हैं जिसकी वजह से जांच प्रभावित हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि कल्लूरी को टीवी टॉवर के पास स्थित होटल इटोलॉजी में एक ऐसे विवादित शख्स के साथ भी देखा गया है जो एमसीएक्स के कारोबार से जुड़ा हुआ है. यह शख्स प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए पैसों का लेन-देन भी करता है.
स्वामीभक्त अफसरों पर नजर..
इसमें कोई दो मत नहीं कि प्रदेश में कुछ अफसर अपने काम को बेहतर अंजाम दे रहे हैं, लेकिन यह भी उतना बड़ा सच है कि बहुत से अफसर खुद को पिछली सरकार के प्रभाव से मुक्त नहीं कर पा रहे हैं. उन पर अमन-चमन और उसके गैंग का हैंगओवर कायम है. कांग्रेस की सरकार किसी अफसर, नेता या पत्रकार का फोन टेप नहीं कर रही है, बावजूद इसके नेटवर्क इतना तगड़ा है कि स्वामीभक्त अफसरों के पल-प्रतिपल की खबर सरकार को दस्तावेजों के साथ मिल रही है. स्वामीभक्त अफसरों की फौज सरकार की योजनाओं को लेट-लतीफ करने और काम में रोड़ा अटकाने के साथ-साथ अर्नगल प्रचार-प्रसार के खेल में लगी हुई है. यह भी कहा जा रहा है कि भ्रष्ट अफसरों का एक तबका सरकार को फेल करने की कवायद में जुटा हुआ है. इस खेल में एकता कपूर के सीरियलों के पात्र जैसा वह अफसर भी शामिल है जो चिंगम चबाते रहता हैं. कल्लूरी को ईओडब्लू और एसीबी से हटाने के बाद सरकार ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह पूर्ववर्ती सरकार की तरह नौकरशाहों के इशारों पर नाचने वाली सरकार नहीं है. कल्लूरी को हटाने के बाद भाजपा की बोलती भी बंद हो गई है.