मंत्री अमरजीत भगत को आबंटित हो सकता है मुकेश गुप्ता का बंगला..

सौजन्य-अपना मोर्चा डॉट कॉम..

रायपुर. हाल के दिनों में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अमरजीत भगत के लिए सरकार आवास की तलाश कर रही है, लेकिन अभी कोई ऐसा बंगला खाली नहीं है जो उन्हें आवंटित किया जा सकें. कहा जा रहा है कि उन्हें देश के सबसे विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का बंगला आवंटित किया जा सकता है.

सरगुजा के सीतापुर से विधायक अमरजीत भगत को हाल के दिनों में ही संस्कृति मंत्री बनाया गया है. जो लोग संस्कृति के जानकार है उनका मानना है कि मंत्री भगत को शंकर नगर या उसके आसपास ही कहीं बंगला आवंटित होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग उनसे आसानी से मेल- मुलाकात कर सकें. मगर इस इलाके में कोई भी सरकारी बंगला फिलहाल खाली नहीं है. सूत्रों का कहना है कि सरकार उन्हें सिविल लाइन में दंतेवाड़ा की पूर्व विधायक देवती कर्मा के पास स्थित मुकेश गुप्ता का सरकारी आवास आवंटित कर सकती है. हालांकि यह आवास अपेक्षाकृत छोटा है मगर थोड़े से कामकाज के बाद बंगले की हालत ठीक की जा सकती है. इस बंगले में नए सिरे से कभी किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं हुआ है. केवल एक बार मुकेश गुप्ता ने बंगले के पिछले हिस्से में एक छोटा सा दरवाजा बनवाया था तो यह खबर तेजी से फैली थीं कि गिरफ्तारी के दौरान भागने के लिए उन्होंने ऐसा किया है.

यह बताना भी लाजिमी है कि मुकेश गुप्ता को जब से यह बंगला आवंटित हुआ है तब से वे यहां दो-चार बार ही ठहरे होंगे. निलंबित होने के बाद दिल्ली को ही उन्होंने अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है. पुलिस महकमे के कर्मचारी उनके निवास पर किसी भी तरह की नोटिस चस्पा करने जाते हैं तो वहां तैनात पुलिसकर्मी कह देते हैं कि साहब तो यहां रहते ही नहीं है.

जब उन्हें निलंबित किया गया था तब उनके आदेश में यह साफ-साफ उल्लेखित किया गया था कि उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी और निलंबन अवधि तक उन्हें पुलिस मुख्यालय में हर रोज ( अवकाश के दिनों को छोड़कर ) अपनी आमद देनी होगी, लेकिन मुकेश गुप्ता ने सरकार के सभी फरमान को ठेंगा दिखा रहे हैं. नब्बे दिनों से ज्यादा गैर-हाजिर रहने पर जब उन्हें पुलिस मुख्यालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया तब उन्होंने एक पत्र भेजकर यह सूचित किया कि कोई ऐसा नियम नहीं है कि जिसे निलंबित किया गया है वह उपस्थित रहेगा? उनके इस कथन के बाद यह सवाल भी उठा कि जिन अफसरों ने भ्रष्ट तरीके से पैसा नहीं कमाया या जो रसूखदार नहीं बन पाए… क्या सारे नियम उन्हीं के लिए बनाए गए है. उनके साथ ही निलंबित किए गए भारतीय पुलिस सेवा के अफसर रजनेश सिंह बकायदा पुलिस मुख्यालय में हर रोज आमद दे देते हैं. जब-जब रजनेश सिंह को ईओडब्लू की तरफ से बयान देने के लिए बुलवाया तब-तब वे अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं, लेकिन मुकेश गुप्ता ने महज दो बार ही ईओडब्लू में दस्तक दी हैं. मुकेश गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है. यह जांच पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी कर रहे हैं. गुप्ता को कई मर्तबा पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है, लेकिन यहां भी उनका रवैय्या- ज्यादा से ज्यादा क्या कर लोगे… वाला बना हुआ है.

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