बिलासपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल के परिवार को कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल की उस याचिका को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने सरकारी जमीन को पैतृक संपत्ति बताया था।
कोर्ट से आये इस फैसले के बाद तुरंत जोगी कांग्रेस के प्रवक्ता मणि शंकर पाण्डेय ने इसे गरीब किसानों की जीत बताते हुए 32 किसानों की 20 एकड़ जमीन जल्द वापस करने की मांग राज्य सरकार से की है. श्री पाण्डेय ने प्रेस नोट में कहा कि मामले में अब उपरी कोर्ट में चैलेंज करने की तैयारी चल रही है। भूपेश बघेल के परिवार पर 20 एकड़ सरकारी जमीन को पैतृक संपत्ति बताकर कब्जा करने का आरोप सही साबित हुआ है। प्रकरण पर न्यायाधीश स्मिता रत्नावत ने मंगलवार को फैसला सुनाया. प्रकरण के मुताबिक नंदकुमार बघेल ने परिवाद में जानकारी दी थी कि उनके पिता स्व. खोमनाथ बघेल ग्राम कुरुदडीह में पटवारी हल्का नंबर 64 के मालगुजार थे. 1973 में उनके निधन के बाद भी 20 एकड़ भूमि का उपयोग वे करते आ रहे हैं. दावा किया गया था कि चकबंदी के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण रिकार्ड से उनका नाम गायब हो गया. वर्तमान में उक्त जमीन उनके कब्जे में है और उसका उपयोग वे कर रहे हैं. इसलिए रिकार्ड को सुधार कर जमीन को उनके नाम पर करने की अनुमति दी जाए.
कोर्ट ने कहा है कि परिवादी अपने दावों को प्रमाणित करने में पूर्ण रूप से असफल रहे। अत: संस्थित व्यवहार वाद में निम्न लिखित डिग्री पारित की जाती है, वादी का वाद निरस्त किया जाए. नंदकुमार ने वर्ष 1980 में सरकारी जमीन को अपने नाम करने के लिए न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था. प्रकरण 38 साल से न्यायालय में विचाराधीन था. खास बात यह है कि इस प्रकरण में परिवादी ने साक्ष्य परीक्षण कराया था, लेकिन प्रतिवादी ने प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित समय पर साक्ष्य परीक्षण नहीं करवाए जाने पर 19 मार्च 1998 को प्रतिवादी साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया था. बता दें कि भूपेश बघेल के सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर राजनीति हुई. जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी में जोगी कांग्रेस ने पत्रकार वार्ता भी ली थी. 6 जनवरी 2017 को विधान मिश्रा ने कलक्टर आर.संगीता को जमीन से संबंधित कई अहम दस्तावेज सौंपकर खुलासा किया था कि कुरुदडीह की सरकारी जमीन पर भूपेश बघेल के पिता ने कब्जा कर रखा है. इस मामले में राज्य शासन ने जांच का भी आदेश दिया था. तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था. जांच टीम ने बघेल और उनके परिजनों के कुरूदडीह, बेलौदी और भिलाई तीन में जमीन की नापजोख भी की थी.अतिरिक्त लोक अभियोजक नागेश्वर यदु ने बताया कि इस प्रकरण में परिवादी नंदकुमार बघेल एक भी ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए जिससे यह सिद्ध हो कि वास्तव में जमीन उनके नाम की है. दस्तावेजों में आरंभ से घास जमीन उल्लेखित है. इसे प्रमुखता से न्यायालय में रखा और न्यायालय ने सही ठहराकर परिवाद को खारिज कर दिया