सीवीआरयू में 3 दिवसीय लोेेेक कला महोत्सव का हुआ आगाज,विधायक पांडेय ने की शिरकत,आज और कल लोककलाकार मचाएंगे रंग..

बिलासपुर.डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय रामन लोककला महोत्सव का शुभारंभ सोमवार की शाम को हुआ इस महोत्सव के पहले दिन पद्म विभूषण पंडवानी गायिका तीजन बाई ने अपने पारंपरिक और चिर परिचित अंदाज पांडवानी की शानदार प्रस्तुति दी जिसके बाद मुंबई के कबीर कैफे ने जमकर धूम मचाया नीरज आर्य एवं साथी ने कबीर के दोहे को वेस्टर्न धुन में गाया और नए रूप में अंचल के लोगो के सामने रखा, जिसे सभी ने पसंद किया। इसके बाद लोरमी के राबेली ग्रुप ने बांस गीत की प्रस्तुति दी विलुप्त होते इस कला को लोगों ने बहुत सराहा डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ी नृत्य की प्रस्तुति दी समारोह में विश्वविद्यालय के महोत्सव में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ की संस्कृति नजर आई।

इस अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे ने कहा कि नई टैक्नाॅलाजी युवाओं को लोक कला और संस्कृति से दूर ले जाती जा रही है। आज अपनी मिट्टी से जुड़ने की जरूरत है। विवि ने यह महत्वपूर्ण कार्य किया है और यह महोत्सव राप्ट्रीय और अंतराप्ट्रीय रूप लेगा। श्री पाण्डेय ने कहा कि सीवीआरयू छ.ग.की लोक कला को अनंत काल का संरक्षित करेगा। उन्होंने विवि में बीते दिनों की यादों को साझा करते हुए कहा कि जब काम करो तो ऐसा इतनी ईमानदारी से करों की वह काम ही अपना हो जाए। इस विवि में मैंने कभी भी नौकर की तरह नहीं। मेरा विवि है यह सोच कर काम किया।विधायक बनने के बाद पहली बार विश्विद्यालय आए शैलेश पाण्डेय ने कहा कि मेरा इस विवि में प्रेम कम नहीं हुआ है, मुझे यहा के सभी लोगों ने बहुत प्रेम किया है। मैं यहा के सभी साथियों का ऋणी हुं और रहुंगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भोपाल से आए कथाकार एवं संपादक समावर्तन मुकेश वर्मा, कवि एवं गद्यकार बलराम गुमास्ता, आईसेक्ट के निदेशक नितिन वत्स और वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष सतीष जायसवाल ने भी सभी को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक,विद्यार्थी सहित हजारों की संख्या में अंचल के लोग उपस्थित थे।

विज्ञान व तकनीकी शिक्षा के साथ लोक कला को समझना जरूरी.चौबे..

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोप चौबे ने कहा कि विज्ञान और तकनीक की शिक्षा के साथ-साथ लोक कला को समझना जरूरी है। यह हमें हमारी संस्कृति से जोड़ती है। आज के वैष्विक युग में युवाओं को अपनी लोक कला और संस्कृति की जानकारी होना चाहिए। उनके साथ जीवन जीना ही वास्तविक जीवन होता हैं। उन्होंने कहा कि विवि के लिए यह गौरव की बात है कि आज हमारे बीच पद्म विभूपण तीजन बाई है। हमें अपनी विरासत को सम्मान करना चाहिए। श्री चौबे ने तीजन बाई को स्व. शारदा चौबे लोक सम्मान से विभूपित किया।

कला व संस्कृति के बिना जीवन की अधूरा- प्रो.दुबे

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि कला संस्कृति और साहित्य मानव जीवन का अनिवार्य अंग है इसके बिना मानव जीवन ही अधूरा है खासकर भारत एक सहिष्णु देश है। जिसमें विश्व की सारी विधाएं संस्कृति इसमें समाहित है। जहां तक छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति की बात है तो अभी इसे और ऊंचाइयों तक जाना है और ऐसे आयोजन के माध्यम से युवा और अंचल के लोग इसे समझ पाएंगे।

लोक कला और लोक गायन से भी सर्वोच्च शिखर संभव-गौरव..

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि चूंकि यह विश्वविद्यालय आदिवासी क्षेत्र में स्थापित किया गया है।इसलिए लोक कला धरोहर को न केवल संरक्षित करने बल्कि उसे आगे बढ़ाने का दायित्व विश्वविद्यालय का है। लोक कला,संस्कृति महोत्सव कराने वाला यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। श्री शुक्ला ने कहा कि आधुनिकता और पाश्चात्य के फेर में विद्यार्थी न उलझे बल्कि लोक कला और लोक गायन से भी सर्वोच्च षिखर तक पहुंचा जा सकता है इसका जीवंत उदाहरण पदम विभूषण तीजन बाई हमारे बीच उपस्थित है।इसी तरह कबीर के ज्ञान को युवाओं तक रोचक माध्यम से पहुंचाने वाले कबीर कैफे भी एक बहुत बड़ा उदाहरण है।इसी तरह विलुप्त होती बाँस गीत की प्रस्तुति भी आज यहां होनी है।

आज का कायर्क्रम..

चित्रोत्पला लोक कला परिषद छत्तीसगढ़ी नाटक (राजा फोकलवा) रायपुर। लक्ष्मी पाटील व साथी कला मंच (पारंपरिक लोकगीत एवं लोक नृत्य) । नरेंद्र यादव व साथी करमा नृत्य, बेलगहना। विश्वविद्यालय की प्रस्तुति, छत्तीसगढ़ी नृत्य।

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