बिलासपुर.भाजयुमो जिला कार्य समिति के सदस्य रौशन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के अटल सम्मान को लेकर विपक्षी दल द्वारा लगाए गए आरोपो को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किया है।
रौशन सिंह का कहना है कि हर बात पर इंदिरा-राजीव की माला फेरने वाली कांग्रेस “अटल” सम्मान से क्यों डर रही है ?
कांग्रेसियों का मानना है कि महानता पर उन्ही का एकाधिकार है।
ये दागे सवाल..
नेहरू गांधी की अस्थियों का एक भाग गंगा में प्रवाहित करने के बाद बाकी बचे भागों को हिमालय और जगह जगह आसमान से धरती पर उड़ाया गया था ।
इंदिरा जी की मृत्यु 31 अक्टूबर को हुई थी दाह संस्कार 3 दिन बाद 3 नवम्बर को हुआ तब तक शव को तीनमूर्ति भवन में रखा गया जिसका दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया गया जिसका परिणाम 84 के सिख दंगों ने ले लिया !
देहांत के पश्चात जब देश भर में लोग उग्र थे कांग्रेसी हिंसा पर उतारू थे तब कांग्रेस शासित हर प्रदेशों में उनकी अस्थियों को ले जाया गया था बाद में प्रयाग के संगम में विसर्जित किया गया जबकि उसका कुछ भाग विसर्जित करने के लिए राजीव गांधी ने उत्तराखंड का गंगोत्री धाम चुना था। राजीव गांधी ने उनकी अस्थियों को हेलीकॉप्टर से ही विसर्जित कर दिया था।
21 मई 1991 चुनावों के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई मगर अंतिम संस्कार 3 दिन बाद 24 मई 1991 की शाम को हुआ पूरे तीन दिन तक जनता को राजीव के शव के दर्शन करने दिए गए।चंद्रशेखर की कार्यवाहक सरकार होते हुए भी दूरदर्शन ने सब लाइव दिखाया लेकिन तब और ना ही आज किसी बुद्धिजीवी ने ये कहने की हिम्मत जुटाई कि ये सब चुनाव के एकदम बीचोंबीच कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए हो रहा था…
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव की मृत्यु के बाद उनके बेटे की इच्छा थी कि अंतिम संस्कार दिल्ली में हो मगर उनके शव को कांग्रेस कार्यलय में रखने से मना कर हैदराबाद भिजवा दिया गया क्यों?
क्योंकि उनके नाम के पीछे “गांधी” नही था ।