मौत का गढ़… छत्तीसगढ़
वरिष्ट पत्रकार ‘राजकुमार सोनी’ के फेसबुक पेज से..
रायपुर.मैं आपको डरा नहीं रहा हूं… हकीकत यही है कि छत्तीसगढ़… मौत का गढ़ बन गया है। अगर आप बस्तर में बसने की सोच रहे हैं तो आपको कभी भी फर्जी मुठभेड़ में माओवादी बताकर मारा जा सकता है। अगर माओवादी की मौत नहीं मरे तो माओवादी आपको पुलिस का मुखबिर या सीधे पुलिसवाला समझकर मौत के घाट उतार सकते हैं। अगर आप जशपुर में गुजर- बसर करने के इच्छुक हैं तो नागलोक का सांप आपको डस सकता है।
अंबिकापुर/ रायगढ़ और धर्मजयगढ़ में जाएंगे तो लगेगा अब-तब में हाथी कुचल देगा। महासमुन्द में भालू आपका पीछा करेगा। भिलाई- दुर्ग, रायगढ़, कोरबा और रायपुर का औद्योगिक प्रदूषण आपका दम घोंट सकता है। अगर आप राजधानी रायपुर में रहना चाहते हैं तो आवारा कुत्तों से सावधान रहना होगा। आवारा कुत्तें कभी भी जहन्नुम का रास्ता दिखा सकते हैं। कुत्तों से बच भी गए तो शराब पीने के बाद आपकी मौत तय है। शराब की बिक्री के मामले में छत्तीसगढ़ ने एक रिकार्ड कायम किया है और अब तो यहां मिलने वाली हर ब्रांड नकली ही मानी जाती है। अगर आप शराब नहीं पीते तो भी यह मत सोचिए कि यहां की व्यवस्था आपको जिंदा छोड़ देगी। हो सकता है जिस गाड़ी ने आपको दुर्घटनाग्रस्त करने के बाद अस्पताल पहुंचाया हो उसका चालक पियक्कड़ हो। छत्तीसगढ़ में वाहन दुर्घटना के प्रकरणों में भी खासी वृद्धि देखने को मिल रही है। यदि जैसे-तैसे आप अस्पताल पहुंच भी गए तो यह अनिवार्य नहीं है कि स्वस्थ होकर जल्द से जल्द घर पहुंच जाएंगे। प्रदेश के हर प्राइवेट अस्पताल की फीस अनाप-शनाप है। इलाज के बाद फीस देखकर भी मौत हो सकती है। यह भी हो सकता है कि आपका मुर्दा शरीर अस्पताल में तब तक बंधक रहे जब तक डाक्टर को पूरी फीस न मिल जाए।
अगर आप दो-चार एकड़ जमीन लेकर खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो यह विचार अभी और इसी वक्त त्याग दीजिए। किसान बनकर क्या कर लीजिएगा। देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी किसान बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं। अगर आप आदिवासी है और सोच रहे हैं कि कोई आपकी जमीन पर कब्जा नहीं करेगा तो यह भ्रम दिमाग से निकाल दीजिए। यहां आदिवासियों की जमीन हड़पना एक सामान्य व्यवहार माना जाता है। अब तो इसे नियम-कानून मान लिया गया है। आपको बताना ठीक होगा कि बस्तर में टाटा के स्थापित होने वाले प्लांट के लिए सरकार ने आदिवासियों से जमीन अधिग्रहीत की थी। वहां प्लांट लग नहीं पाया और आदिवासियों को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा। केवल बस्तर ही नहीं छत्तीसगढ़ में ऐसे कई इलाके हैं जहां जमीनों पर सरकार के कब्जे के बाद आदिवासियों ने मौत को गले लगा लिया है। अगर आप किसी गरीब आदिवासी बेटी के पिता है तो मानव तस्कर आपकी बेटी का अपहरण कर सकते हैं और आपको इस अपराधबोध में आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है कि आपने गरीब बेटी का बाप बनकर छत्तीसगढ़ में जन्म क्यों लिया?
अगर आपका विरोध इस बात को लेकर हैं कि आपके गांव में बार-बार बिजली क्यों गुल हो जाती हैं तो आपको थाने लाकर पीटा जा सकता है। जब वर्दीधारियों की पिटाई से आपकी मौत हो जाएगी तो आपको लॉक अप में फांसी के फंदे पर झुलाया भी जा सकता है। आपने सीडी बनाई है या नहीं बनाई है इस बात से फर्क नहीं पड़ता। आपने अगर बलराज साहनी की किसी पुरानी फिल्म की सीडी भी अपने पास रखी है तो आपको फांसी के फंदे पर लटकना पड़ सकता है।
आपको यह तो पता ही होगा कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। बस्तर में आज भी कई जगहों पर एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है। सरकार खुद मानती हैं कि प्रदेश को जितने डाक्टर चाहिए उतने उनके पास नहीं है। अगर आप खांसी- कुशी और बीमारी से बच भी गए तो सरकार में बैठे नुमाइंदे और दलाल आपको किसी न किसी झूठे मामले में फंसा देंगे। हो सकता है कि आप जेल में सड़ जाए या फिर केस लड़ते- लड़ते स्वर्ग सिधार जाए। अगर आप सामाजिक कार्यकर्ता हैं और आपका विरोध इस बात को लेकर हैं कि बेगुनाह लोगों की मौत क्यों हो रही है तो भी आपकी मौत सुनिश्चित है। पुण्य- सुन्य-प्रसुण बाजपेयी तो अभी कुछ दिन पहले किसी चैनल से निकाले गए हैं। छत्तीसगढ़ में यह सिलसिला काफी सालों से चल रहा है। कई पत्रकार मौत के घाट उतारे जा चुके हैं और सैकड़ों पत्रकार झूठे मुकदमे झेलने को मजबूर हैं। यहां असहमति का मतलब अपराधी हो जाना है और असहमतियों के अपराधियों की सजा है- मौत… और केवल मौत। छत्तीसगढ़ में अगर आप किसी भी पत्रकार से पूछोगे कि कैसा चल रहा है तो वह बुझे मन से कहेगा- जैसा सरकार चलाना चाहती है वैसा चल रहा है।
अगर आप छत्तीसगढ़ के हैं और अभी आपकी सांसे चल रही हैं तो जिस भगवान को भी मानते हैं उसका शुक्रिया अदा करिए। अगर आप नास्तिक है तो भी कोई बात नहीं…।
छत्तीसगढ़ में आपके जिंदा रहने को लेकर
थोड़े समय के लिए ही सही मैं यह मान लेता हूं कि किस्मत नाम की भी कोई चीज होती है।
अब…मुस्कुराइए भी
क्योंकि आप छत्तीसगढ़ में हैं और फिलहाल जिंदा है।
इतनी बर्बरता के बावजूद भी अगर भक्त गण
सबसे बढि़या- छत्तीसगढ़ कहते हुए कूदना
चाहते हैं तो उनका क्या किया जा सकता है।
( राजकुमार सोनी ने 8 अगस्त 2018 को इसे अपने फेसबुक पर पोस्ट किया था। )