अयोध्‍या: निर्णय नहीं निदान है..

‘विजया पाठक‍’

अभी हाल ही में ऐतिहासिक अयोध्‍या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। यह फैसला तमाम पक्षकारों को ध्‍यान में रखकर और प्रस्‍तुत की गई दलालों के मद्देनजर दिया है। कुल मिलाकर एक ऐसे मुद्दे का अंत हो गया जिसकी बुनियाद वर्षों पुरानी थी। अंतत: सर्वमान्‍य फैसला देकर देश की उच्‍च न्‍यायिक संस्‍था ने मिसाल पेश की है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देकर देश के लिए निदान साबित हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर जो निर्णय दिया वह देश के लिए निदान साबित हो रहा है। वाकई में निर्णय नही निदान है। एक ऐसा निदान जिसकी शायद ही लोगों ने कल्‍पना की होगी कि फैसला इस तरह से आ सकता है। पिछले सैकड़ों वर्षों के मुद्दे का हल इतने सरल तरीके से निकाला कि सभी पक्षों ने इसे शिरोधार्य भी किया। वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में शांति और सौहार्द की भी एक अलग तस्‍वीर देखने को मिली है। वर्ग, समुदाय, धर्म को लेकर पूरे देश का माहौल शांत रहा। मेरी नजर में तो विवाद के एक युग का अंत हो गया। जो विवाद चुनावों के मौसम में और साम्‍प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में महती भूमिका अदा करता था, वह पूरी तरह खत्‍म हो गया। इस ऐ‍तिहासिक फैसले का स्‍वागत होना चाहिए और खुशी की बात है कि स्‍वागत हुआ भी। लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का यह बेहतर नमूना पेश हुआ।

इस तरह के निर्णय होना हमारी न्‍यायकि व्‍यवस्‍था को भी उच्‍च कोटि पर ले जाती है। इन फैसलों से सही मायने में लोकतंत्र की पहचान पुख्‍ता प्रदर्शित होती है। उच्‍च न्‍यायालय के सीजेआई ने जाते जाते ऐसा फैसला देकर अपने आप को अमर साबित कर लिया है। क्‍योंकि इस बहुचर्चित मामले में सभी पक्षों का ध्‍यान रखना और आपस में सहमति बनाना बड़ी बात है।

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