दुर्ग.आईजी जीपी सिंह ने रेंज के पुलिस अधीक्षकों और राजपत्रित अधिकारियों की कार्यालय में मीटिंग लेकर क्राईम के आंकडों पर मातहतों को टिप्स दिये और कहा कि पुलिस की नकारात्मक छवि बनने का ध्यान रखें।
बैठक में आंकड़ों के अनुसार जिला दुर्ग में गुम इंसान के कुल 1669 प्रकरण, मर्ग के 1794 प्रकरण, 173(8) जा.फौ. के 62 प्रकरण, लंबित चालान 65, 41(1/4) के 103 प्रकरण, लंबित अपराध 596 प्रकरण एवं पेंडिंग माल 3584 प्रकरण लंबित हैं। समंस/वारंट की समीक्षा में पाया गया कि स्थाई वारंट 3819, गिरफ्तारी वारंट 374, जमानती वारंट 235 एवं समंस 257 लंबित है, जिसमें वारंटों की तामीली क्रमशः 7, 40, 68 एवं 79 प्रतिशत पाया गया है। इसी तरह जिले में जनता वि. जनता के कुल 269, पुलिस वि. पुलिस के 4 एवं जनता वि. पुलिस के 80 प्रकरण में में जांच की कार्यवाही लंबित पाये गए. इस पर श्री सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा याचिका क्रमांक WPC/75/2012 के तहत् बचपन बचाओ आंदोलन में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करें।
वही जमानती, गिरफ्तारी, स्थाई, समंस व वारंट के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु एक निश्चित समयावधि के भीतर तामिली एवं न्यायालयों के निर्देशों के पालन में लापरवाही पाये जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया। 173(8) जाफ्ता फौजदारी की कार्यवाहियों में ते लाने विशेष अभियान चलाकर गिरफ्तारी करने के निर्देश आईजी ऩे दिये। कहा कि 420 भादवि के प्रकरणों में विशेषकर चिट-फण्ड जैसे प्रकरणों पर विशेष सक्रियता की आवश्यकता है। शरीर संबंधी अपराध के अंतर्गत थाना प्रभारी मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए कठोर कार्यवाही करे, ताकि असमाजिक व गुण्डा तत्व भयभीत रहें तथा इस प्रकार के अपराध पर नियंत्रण हो सके।
जिलों में गिरोह द्वारा संपत्ति संबंधी अपराधों का मानचित्र गत 10 वर्षों का तैयार करें। इससे घटनाओं के ट्रेंड एवं पैटर्न का आंकलन करें। इस आधार पर गश्त, नाकाबंदी व अपराधियों की तलाश, रेड इत्यादि की योजना बनाई जावे एवं समय-समय पर स्वयं समीक्षा की जावे। ऐसे अपराधों में माल मुजलिमों का पता करने माल दस्तावेजों, सीडीआर डिटेल्स व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों आदि के संकलन में विवेचकों द्वारा के कार्यों की समीक्षा एसपी,सीएसपी करें।
बैठक में आईजी श्री सिंह ने पुलिस की विजीबिलीटी को बढाने और अपराधियों पर नकेल कसने के तरीके बताए और कहा कि प्रकरण के लंबित होने से लोग वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय में चक्कर लगाते हैं इससे पुलिस की नकारात्मक छवि बनती है। थाना व एसडीओपी स्तर पर प्राप्त होने वाली शिकायतों पर पीड़ित पक्ष से सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार कर उचित कार्यवाही करने हेतु पर्यवेक्षण अधिकारियों को निर्देशित किया गया।