“एस. कुमार”
नई दिल्ली. यूपी में लोकसभा के उपचुनावों में शर्मनाक हार से बौखलाई भाजपा को कर्नाटक चुनाव के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी कानून के समीक्षा से करारा झटका लगा है. एसटी एससी आंदोलन के बाद से दलित राजनीति भी गर्मा गई है। कर्नाटक में चुनावी घोषणा के बाद से पहले दिन से पिछड़ी भाजपा को चोट पर चोट, देश की सर्वोच्च अदालत से मिल रही है। कोर्ट ने पुराने मुर्दे हुए मुद्दों में जान डालते हुए केंद्र सरकार को झटका दिया है। इससे केंद्र और कोर्ट के बीच फिर से रस्साकसी साफ नजर आ रही है।
कोलोजियम सिस्टम तो नहीं..
चुनावी वर्ष में इस प्रकार के फैसलों की जड़ में सुप्रीम कोर्ट में भाजपा सरकार द्वारा कोलोजियम सिस्टम से जजों की नियुक्ति से जुड़ा विवाद भी दिखता है। चुनावी साल में दिल्ली में पहले सीलिंग का मामला और अब देश में दलित उत्पीड़न के बहाने केंद्र सरकार के खिलाफ कोर्ट ने तल्ख और सख्त टिप्पणी कर राजनीतिक भूचाल पैदा कर दिया है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार इस भूकंप से बुरी तरह से हिल गई है। बहराइच से भाजपा सांसद ने अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वहीं रविशंकर प्रसाद जो मोदी सरकार के कानून मंत्री भी हैं, अपने उलजुलूल बयानों से सुप्रीम कोर्ट को चिढ़ाने और भाजपा की किरकिरी करने में कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। इधर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों पर अडिग है।
पीएम ने मोर्चा सम्हाला..
भाजपा को सीलिंग और दलित मुद्दे पर हुए नुकसान की भरपाई करते हुए पीएम ने अपना मौन व्रत तोड़ा है। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अंबेडकर को राजनीति में घसीटने की बजाय उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने की जरूरत है। पीएम ने कहा कि अंबेडकर को जितना सम्मान उनकी सरकार ने दिया, किसी और सरकार ने नहीं दिया। नरेंद्र मोदी ने पहले की सरकार (यूपीए) को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि अंबेडकर के नाम पर केवल राजनीति की गई।
राहुल के तंज से मुंह खुला..
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला बोलते कहा था कि वह दलितों, आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और एससी/एसटी एक्ट को शिथिल बनाये जाने जैसे मुद्दों पर एक भी शब्द क्यों नहीं बोल रहे हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी की है लेकिन विपक्ष को सरकार के खिलाफ मनुवाद बनाम दलित मुद्दा उभारने का पूरा मौका मिल गया।