जाति आय प्रमाण के लिए भटक रहे विद्यार्थी
बिलासपुर . बिलासपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा में प्राईवेट परीक्षार्थी के रूप में शामिल होने वाले परीक्षार्थी आज छुट्टी के दिन भी नामांकंन कराने के लिए तहसील कार्यालय में जाति, निवास और आमदनी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंचे। कंट्रोलर पांडेय की मनमानी से इस बार प्रमाण पत्र से ही नामाकंन अनिवार्य किया गया है।
बिलासपुर विश्वविद्यालय की स्नातक बीए, बीएससी और बी कॉम और एमएससी एमए और एमकॉम सहित अन्य विषयों में प्राईवेट परीक्षार्थी के रूप में शामिल होने के लिए नामाकंन करा रही है। बीयू ने नामाकंन की प्रक्रिया माह भर पहले से शुरू किया है तथा नामाकंन के लिए जाति, निवास और आमदनी प्रमाण पत्र और नोटरी की अनिवार्यता की है। विवि की परीक्षा में प्राईवेट परीक्षार्थी के रूप में शामिल होने के लिए युवती और युवतियां महीने भर से जाति, निवास और आमदनी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे है लेकिन तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी एसडीएम के नही होने के कारण युवती और युवकों को भटकना पड़ रहा है।
शनिवार को छुट्टी के होने के बाद भी सुबह तहसील कार्यालय में अधिवक्ता और नोटरी के पास युवकों और युवतियों की भीड़ रही।
प्रमाण पत्र बनवाने आए युवक और युवतियों ने कहा कि महाविद्यालय की परीक्षा में शामिल होने के लिए यह दस्तावेज जरूरी है। लेकिन अधिकारियों के नही होने से नही बन पा रहा है। अब परीक्षा में शामिल होने के लिए नामांकन को चार दिन ही बचे है। यदि अब नही बनता है तो परेशानी बढ़ेगी।
जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए बीसीए के छात्र प्रदीप उपाध्याय ने बताया कि जाति, निवास और आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए है जिससे परीक्षा के लिए नामाकंन हो सके। यदि किसी परीक्षार्थी ने एक या दो साल पढ़ाई छोड़ा है तो उसे गेप प्रमाण पत्र भी बनवाना पड़ेगा।
वहीं आम कार्यालयीन दिवस में बच्चों को प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय पहुंचने वाले परीक्षार्थियों के दस्तावेज नही बन पा रहे थे लेकिन आज छुट्टी के दिन तहसील कार्यालय में तहसील के एक दो कर्मचारी के साथ ही अधिवक्ता भी उपस्थित रहे।
मालूम हो नामाकंन की अंतिम तिथि को चार दिन ही शेष बचे है तथा करीब 5 से 7 हजार विद्यार्थी प्रभावित हो रहे है। छात्र संगठन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को तिथि बढ़ाने की मांग करते हुए बीयू को घेराव किया था तथा परीक्षा नियंत्रक डा प्रवीण पांडेय से मिलकर तिथि बढ़ाने की मांग की थी लेकिन परीक्षा नियंत्रक ने तिथि दो तीन बार बढ़ जाने की बात कहते हुए मना कर दिया था। लेकिन उच्च अधिकारियों को जानकारी देकर निर्णय लेने की बात कही थी।