रायपुर.इसी साल 4 जुलाई को बाबा रामलाल कश्यप साढ़े दस किलो की कंठी-माला पहनकर छत्तीसगढ़ की विधानसभा में पधारे थे। बाबा के भाला- त्रिशूल लेकर प्रवेश करने पर जब कांग्रेस के बृहस्पति सिंह ने आपत्ति जताई तो विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने यह कहते हुए डपट दिया था कि वे बाबा को व्यक्तिगत रुप से जानते हैं और उन्होंने बाबा के साथ फोटो भी खिंचवाई है।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान बाबा ने दावा किया था कि चौथीं बार भी रमन सिंह की सरकार बनेगी। बाबा ने स्वीकारा था कि उन्होंने रमनसिंह को जिताने का संकल्प ले लिया है और विधानसभा को बांध दिया है। पता नहीं बाबा ने कैसा संकल्प लिया कि भाजपा मात्र पन्द्रह सीट पर सिमट गई। इस बार कई लोगों ने भाजपा को धोखा दिया है। एक पावरफुल अफसर ने अपना गैंग बना रखा था। उस अफसर से जुड़े लोग जनता को बंसती समझ बैठे थे।
मजबूर बंसती एक समय तक- आ जब तक है जां… जाने जहां मैं नाचूंगी…गाती रही, लेकिन अचानक बंसती ने नाचना बंद कर दिया और सरकार को कैबरा करने के लिए विवश होना पड़ा। एक बड़ा धोखा अमित शाह को भी मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को 65 सीट जीतने का लक्ष्य दिया था, लेकिन कांग्रेस 68 सीट पर जीत गई। इस भंयकर किस्म की जीत के बाद भाजपाई यह कहने को मजबूर हो गए हैं कि आडवाणी कई सालों से अकेले-थकेले हैं। अब रमन सिंह को भी मार्गदर्शन मंडल में शामिल कर देना चाहिए। वर्ष 2019 के चुनाव में मार्गदर्शन मंडल में शामिल नेताओं की रिपोर्ट ही कोई चमत्कार दिखा पाएगी। भाजपाइयों का कहना है अगर शीर्ष नेतृत्व ने बृजमोहन अग्रवाल को नेता प्रतिपक्ष बनाया तो ही कुछ हो पाएगा।