‘विजया पाठक’
17 दिसंबर को मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने एक साल पूर्ण होने पर पूरे प्रदेश समेत राजधानी में जश्न मनाया। भोपाल में भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की उपस्थिति में एक कार्यक्रम आयोजित कर 2020 से 2024 तक का विजन डॉक्यूमेंट पेश किया। मतलब सरकार ने एक वर्ष पूरा होने का फीलगुड खुद भी लिया और जनता को भी एहसास कराया।
इस साल में सरकार ने जितने भी कार्य किए उनका पुरजोर तरीके से गुणगान किया और करवाया। मैं जानना चाहती हॅू कमलनाथ जी यह जश्न और फीलगुड किस बात का किया गया। एक साल में आपकी सरकार ने ऐसा कौनसा तीर मारा जिसका बखान किया जा रहा है। क्या आप हकीकत से नजरें चुरा रहे हैं। सबसे बड़ा छलावा को प्रदेश के अन्नदाता किसानों के साथ किया है। कांग्रेस के धोखे का सबसे बड़ा शिकार प्रदेश का किसान हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में स्पष्ट रूप से कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों का दो लाख रूपये तक का कर्जा माफ करेगी।
तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो यहां तक घोषणा की थी कि यदि 10 दिन के भीतर कर्ज माफ नहीं हुआ तो मुख्यमं त्री बदल दिया जायेगा। आज पूरा एक साल होने के बाद भी किसान उसी प्रकार कर्ज में है और मुख्यमंत्री भी वहीं है। न कर्ज माफ हुआ और न मुख्यमंत्री बदला। कर्जमाफी के झांसे में किसान की पूरी कमर ही टूट गई है। माफी की उम्मीद में उसने बैंकों का कर्ज जमा नहीं किया तो डिफाल्टर हो गया। वर्तमान में प्रदेश का किसान यूरिया के भीषण संकट से गुजर रहा है। केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश का यूरिया कोटा 15.40 एमएलटी से बढ़ाकर 18 एमएलटी कर दिया है, साथ ही रबी योजना के लिये 2.88 लाख टन अधिक यूरिया देना तय किया। अकेले दिसम्बर 2019 में मध्यप्रदेश को 4.25 लाख टन के स्थातन पर 7.32 लाख टन यूरिया की आपूर्ति की गई। उसके बावजूद मध्यप्रदेश में सहकारी संस्थाओं के बाहर किसान यूरिया के लिये सरकार की लाठियां खा रहा था किसानों को यूरिया के लिए घंटों लाइन में इंतजार के बाद भी यूरिया नही मिल रहा है।
कमलनाथ सरकार के लिए यह साल विफलता,धोखाधड़ी,भ्रष्ट्राचार,अपराध और राजनैतिक धींगामस्ती में गुजरा है। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपने एक साल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उम्मीदें रंग लाई, तरक्की मुस्कु्राई। लेकिन सच यह है कि इस एक साल में उम्मीदें मुरझाई है और तरक्की डगमगाई। सरकार का पूरा साल सरकार को बचाने की तिकड़म में, अपने ही लोगों को बांधे रखने में,भ्रष्ट्राचार की योजनायें बनाने में, तबादला उद्योग चलाने में, कानून व्य्वस्था मिटाने में, रेत तथा शराब माफिया को आगे बढ़ाने में और वचन पत्र की धज्जियां उड़ाने में बीता है। किसान,युवाओं और बेटियों को ठगा गया है। गरीब आदमी की सारी योजनायें क्रमश: बंद कर दी गई हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसे देखकर हम कह सके कि प्रदेश में सरकार कोई एक जनहित का काम कर रही है। किसानों की फसलों की खरीद पर पूर्ववर्ती सरकार भावांतर सहित जितनी भी योजनायें लायी थी वे सभी योजनायें इस सरकार ने बंद कर दी।
मध्यप्रदेश के लाखों युवाओं को यह सरकार एक भीयुवा को भत्ता नहीं दे सकी और किसी को रोजगार मुहैया नहीं करा सकी। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार प्रदेश की सभी 22,816 पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण करायेगी लेकिन दुर्भाग्यश से कांग्रेस के नेताओं ने गौवंश को अपनी राजनैतिक बयानबाजी का अखाड़ा बनाया है।
कमलनाथ सरकार बनते ही भीषण पैमाने पर तबादला उद्योग चला, इस तबादला उद्योग ने अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच इस कदरअसुरक्षा का वातावरण पैदा किया कि वे कानून और व्यवस्था बनाये रखने की जगह अपनी कुर्सी बचाये रखने की जुगाड़ में ही लगे रहे। इस सरकार ने अस्तित्व में आते ही सरकार बचाने के फेर में रेत और शराब से जुड़े अपने लोगों को ताबड़-तोड़ खनन करने और शराब का अवैध करोबार करने के लिये प्रोत्साहित किया। आज प्रदेश की अनेक नदियों में बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है।
अब सरकार ने ‘विजन टू डिलेवरी रोड मैप 2020-2025’ में अगले पांच साल में 10 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा करने की बात कही है। 3.50 लाख जॉब मैन्युफैक्चरिंग तो 1.50 लाख सर्विस सेक्टर से रोजगार सृजित किए जाएंगे। इसके अलावा पांच लाख नौकरियां पर्यटन क्षेत्र से दी जाएंगी। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद इस रोडमैप की मॉनिटरिंग करेंगे। मतलब अगला छलावा युवाओं के साथ होगा। क्या कमलनाथ जी ऐसे कारनामों पर अपने एक साल के कार्यकाल का जश्न मना रहे हैं। कमलनाथ जी दिखाने की राजनीति छोड़ हकीकत से नजरें मिलाओ।
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