- शिवा कुमार
मुंबई. केंद्र के आदेश के बाद महाराष्ट्र में भाजपा सरकार ने किसानों के आगे घुटने टेकते हुए एक बड़ा फैसला लिया। नाटकीय घटना क्रम में संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ी भूमिका अदा की है।
किसानों की इस लड़ाई को हवा देते हुए राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ये केवल महाराष्ट्र के किसानों की मांग नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों की यही समस्या है। कांग्रेस के अधिवेशन के लिए किसानों पर काम कर रही समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवीई में एक राजनीतिक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया था। इसकी भनक भाजपा आलाकमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगते ही पीएमओ सक्रिय हो गया। आनन-फानन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को किसानों की सभी शर्तें स्वीकार करने का मौखिक आदेश दे दिया गया. जिसका तुरंत पालन करके विपक्ष के हाथ से मुद्दा छीन लिया गया। इससे साफ हो गया कि भाजपा, चुनावों के मद्देनजर अब कोई ऐसा राजनीतिक अवसर विपक्ष को एकजुट होने के लिए नहीं देगी। महाराष्ट्र के कद्दावर मंत्री गिरीश महाजन लगातार इस किसान प्रतिनिधियों के साथ संपर्क में बने हुए थे। उनका कहना है कि सरकार ने जिन मांगों को स्वीकार किया है और उन्हें जल्द ही इस बारे में लिखित मसौदा के रूप में लाया जाएगा।
ऐसा था दमदार आंदोलन
आंदोलन में 35,000 से अधिक किसानों ने छह दिनों से ज्यादा समय में 180 किलोमीटर लंबे मार्च को पूरा किया। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित इस मार्च में माकपा के किसान धड़े के किसान लाल टोपी पहने, हाथों में लाल झंडे लिए ड्रम बजाते हुए शामिल हुए। किसानों के प्रतिनिधि अजीत नवाले ने बातचीत में स्वीकार किया कि उनकी प्रमुख मांग पिछले वर्ष जून में घोषित हुए किसान ऋण माफी को लागू करना है। इस आंदोलन को समूचे विपक्ष का व्यापक जनसमर्थन मिल रहा था।
मदद के लिए बढ़े हाथ
किसानों की मदद करने के लिए मुंबई के डिब्बावाले संगठन ने खाना और पानी मुहैया कराया.आंदोलन को कांग्रेस के अतिरिक्त एनसीपी, शिवसेना और एमएनएस का भी समर्थन मिल रहा था.