‘विजया पाठक’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी हैं। पी एल पुनिया का राज्य की भूपेश बघेल सरकार में हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा
है । चूँकि उनके पुत्र तनुज पुनिया भी छत्तीसगढ़ में राजनीति करते हैं l तनुज ने चुनाव तो उत्तर प्रदेश से लड़ा और हार भी गए लेकिन अपनी राजनीतिक जमीन छत्तीसगढ़ में तलाश रहे हैं । पिता प्रभारी हैं तो पुत्र भी अपनी मनमर्जी चलाने में नहीं चूक रहे हैं। पिता पुत्र का कांग्रेस पार्टी और सरकार में हस्तक्षेप होने से प्रदेश की राजनीति में असंतोष फैला रहा है। वहीं भूपेश बघेल की निर्विवाद छवि को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्तमान समय में सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे हैं। अपने 18 माह के शासनकाल में उन्होंने अपने आप को निष्पक्ष और निर्विवाद मुख्यमंत्री के रूप में प्रदर्शित किया हैं। अपनी कार्यप्रणाली से स्थानीय स्तर पर और पार्टी हाईकमान को काफी प्रभावित किया है।
ताजा मामला प्रोफेसर प्रभाकर सिंह को लेकर है। प्रोफेशन सिंह इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय में प्रोफेसर थे। अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पी एल पुनिया ने प्रोफेसर सिंह को उद्यान के विभाग का संचालक बनवा दिया, जबकि यह पद आईएएस आईएफएस के लिए आरक्षित है। जब सीएम भूपेश बघेल को यह मामला संज्ञान में आया तो उन्होंने प्रोफेसर सिंह को उद्यान के विभाग से हटवा दिया। इसके बाद पुनिया ने प्रोफेसर सिंह को इंदिरा गांधी कृषि विभाग में रजिस्टार बनवा दिया। जिस का पुरजोर विरोध हो रहा है। मतलब साफ है कि पुनिया जी अपने पद के प्रभाव से सरकार के कामकाज में घुसपैठ कर रहे हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री को भी विश्वास में नहीं ले रहे हैं। पुनिया की बढ़ती दखलंदाजी निश्चित तौर पर प्रदेश में गुटबाजी और मनमुटाव को जन्म दे रही हैं। दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस संगठन की बात करे तो पुनिया इस मामले में बिल्कुल असफल साबित हो रहे हैं। इनका काम है कि संगठन स्तर पर गुटबाजी और विरोध उभरकर नहीं आना चाहिए लेकिन पूनिया गुटबाजी और असंतोष कम करने के बदले पैसे वसूली के काम में लगे रहते हैं। बीजेपी नेता सरोज पांडे ने कहा था कि कांग्रेस में गुटबाजी हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक प्रभावी और संवेदनशील मुख्यमंत्री है। वह जननायक के रूप में उभरे हैं । भूपेश बघेल को इन परिस्थितियों को समझना होगा और आपसी गुटबाजी और अंतर कलह को कम करना होगा। यदि समय रहते स्थितियों को नहीं संभाला गया तो छत्तीसगढ़ की स्थिति भी मध्यप्रदेश जैसी हो जाएगी। क्योंकि गुटबाजी में इस समय मध्यप्रदेश अव्वल है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो राज्य के मंत्री और विधायक बगावत पर उतर आएंगे। तब स्थिति को संभालने में बहुत परेशानी होगी और यह भी सच है कि बीजेपी एक मौके की तलाश में हैं। किसी भी स्थिति में पी एल पुनिया की कार्यप्रणाली को सुधारवाना होगा। वैसे भी पुनिया पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। प्रदेश में पुनिया का पद से हटना बहुत आवश्यक है। यह बात कांग्रेस हाईकमान को भी समझनी होगी । पुनिया के ऊपर पैसा लेन-देन का मामला विधानसभा चुनाव के समय से चल रहा है। एक बार एक पत्रकार ने रात को पैसा लेन देन का वीडियो जारी किया था। जिसके चलते पत्रकार की गिरफ्तारी हो गई थी। वह गिरफ्तारी पुनिया के कहने पर हुई थी।
ऐसे कई मामले हैं जो पुनिया के कारनामों को उजागर करते हैं। छ ग में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है लेकिन यह भी याद रखना होगा कि मजबूती में खराब होने में देर नहीं लगती भूपेश बघेल को अब बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है। आपसी गुटबाजी में छत्तीसगढ़ की स्थिति मध्यप्रदेश जैसे ना हो जाए।