बिलासपुर. इंसान सफलता को लेकर तरह तरह के पैतरे इख्तियार करता हैं मगर इस बात से अनजान की ऊंचाइयों तक जाने कितनी टेढ़ी मेढ़ी सीढियां पार करना होता है अगर सफलता यूही मिल जाती तो शायद इसे लेकर भीड़ भरी दुनिया मे इतनी जद्दोजहद नही करना पड़ता इसी सफलता की कहानी को अपनी कलम से उकेरा हैं कान्यकुब्ज ब्राहमण समाज की वर्षा अवस्थी ने..
“”सफलता””
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती
आत्मा को तपा कर
चेहरे को सुंदर दिखाना पड़ता है।
मशहूर यूं ही नहीं हो जाया करते लोग
न जाने कितने अपनों का दिल दुखाना पड़ता है।
सत्य की गलियों से होकर
सफल रास्ते की ओर कदम बढ़ाना पड़ता हैं।
मिले कितने भी कंकड़ क्यों ना राहों में
फूल समझकर निकल जाना होता है।
मिलती है वाहवाही, गर सफल समय बना जाता है।
वरना तो हर कोई ही आकर
आइना दिखा जाता है।
कड़ी मेहनत और ईमानदारी
बस यही तो है सफलता को प्यारी
यह ना टिकती ज्यादा दिन वहां
जहां रहते हैं अहंकारी
यह ऐसा तूफान है।
कोशिशों के समंदर का
जो डर और हार को दबाकर
कहीं दूर निकल जाती।