लोरमी. गायों को सुरक्षित रखने के लिए शासन ने गौठान का निर्माण कराया है,लेकिन गाय पालक अपनी गायों को वापस लाते ही नहीं हैं। जो मुख्य मार्ग में झुंड बैठ जाती हैं और वही दुर्घटना का कारण बन रही हैं। नगर के बुधजीवियों के मध्य चर्चा चल रही थी कि शासन तो संसाधन और व्यवस्था बना देती है,लेकिन लोग उसे सुरक्षित नहीं रख पाते या उपयोग नहीं करते है तो इसमें गलती किसकी?
शायद उनकी बात सही थी क्योंकि लोग योजना जानने के बाद भी लाभ नहीं ले पाते हैं। इसका उदाहरण रोज ही दिख जाता है,जब सड़क पर गाय झुंड नजर आती है क्योंकि नगर एवम् शहरी क्षेत्र में कई लोग है जो गाय पालते हैं। सभी सुबह इन्हे चरने के लिए छोड़ देते हैं,कुछ तो घरों में वापस ले आते हैं लेकिन कुछ गायों को यूं ही छोड़ दिया जा रहा है। जिससे गाय मुख्य मार्ग में बीच में बैठ जाती हैं। अमूमन यह नजारा रोज ही दिखाई पड़ता है। शाम होने के बाद यह स्थिति और गंभीर हो जाती है,जब दोपहिया और चार पहिया वाहन इसके कारण दुर्घटनाग्रस्त होने लगते हैं। इसे लोगो की लापरवाही ही कहेंगे कि लोग शासन की योजनाओं के बाद भी ध्यान नहीं देते हैं।छत्तीसगढ़ शासन ने गायों की सुरक्षा के लिए गौठान का निर्माण कराया है ,जहां पर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग गाय को रखते हैं। शासन ने अब गाय के साथ उसके गोबर को भी खरीदने की शुरुआत हरेली पर्व से कर दी है तथा कृषक एवम् अन्य गाय पालक इसका लाभ लेने लगे हैं। लोगों को भी गाय की सुरक्षा का ध्यान देना चाहिए, शाम को वापस घरों में वापस लाना चाहिए, राज्य के कई क्षेत्रों में आज भी राउत प्रथा है जो गाय चराते हैं। जहां पर राउत नहीं है वहां पर गाय पालकों के लिए दक्षिण भारत के राज्य के लोग उदाहरण हो जहां पर गाय को चराकर साथ वापस लाते हैं।