जब विश्वरंजन का शिकार हुआ तब..

‘राजकुमार सोनी’

रायपुर.भारतीय पुलिस सेवा 1973 बैच के अफसर रहे विश्वरंजन एक कवि और समालोचक है. जब वे केंद्र में गुप्तचर विभाग को देख रहे थे तब छत्तीसगढ़ के तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह उन्हें छत्तीसगढ़ लाने के लिए प्रयासरत थे. खुद विश्वरंजन कहते हैं- मैं रमन सिंह के अनुरोध पर छत्तीसगढ़ आने के लिए तैयार हुआ था. लेकिन 18 जुलाई 2011 को वे अचानक हटा दिए गए और उनसे जूनियर 1978 बैच के अनिल नवानी को राज्य का नया डीजीपी बना दिया गया.

बहुत बाद में इधर-उधर से यह आरोप सामने आया कि रंजन कानून-व्यवस्था पर ध्यान देने के बजाय कविता-कहानी के जरिए मनोरंजन करने में लगे हुए थे. दबी-दबी जबान से यह भी सुना गया कि वे तब के गृहमंत्री ननकीराम कंवर की नहीं सुनते थे. बहराल इस खबर में विश्वरंजन का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री ने सदन के भीतर और बाहर एएन उपाध्याय को हटाए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि एक डीजीपी को तभी हटाया जा सकता है जब उन पर अनुशासनहीनता का आरोप हो. आपराधिक मामला चल रहा हो या फिर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप दर्ज हो. उनका कहना था कि नए डीजीपी की नियुक्ति के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइ़ड लाइन का पालन नहीं किया गया. उनके इस बयान पर राजनीतिक प्रेक्षकों की राय है कि शायद पूर्व मुख्यमंत्री अब भी एएन उपाध्याय को पुलिस महानिदेशक बनाए रखने के पक्ष में हैं. बातों ही बातों में पूर्व मुख्यमंत्री ने नए डीजीपी की तैनाती को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि क्या डीजीपी पटवारी है जिसे चालू प्रभार दे दिया गया है.

सरकार का अधिकार..

छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी विश्वरंजन चर्चा में कहते हैं- मुझे आज तक यह पता नहीं चल पाया कि क्यों हटाया गया था, लेकिन तब के चीफ सेक्रेटरी ने एक अधिकारिक टिप्पणी की थी कि मुझे राज्य में डीपीजी के पद पर काम करते हुए तीन साल से ज्यादा हो गए थे. विश्वरंजन आगे कहते हैं- कोई अफसर किस जगह पर रहेगा और किस जगह पर काम करेगा यह तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास हैं. विश्वरंजन का कहना है कि डीजीपी एएन उपाध्याय भी शायद इसलिए हटा दिए गए हैं क्योंकि वे छत्तीसगढ़ में अपनी तैनाती का एक रिकार्ड बना चुके थे. यह बताना लाजमी होगा कि एएन उपाध्याय एक मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के डीजीपी बनाए गए थे और वे 20 दिसम्बर 2018 तक यानि पूरे पांच साल तक पद पर बने रहे. इतने लंबे समय तक कोई भी डीजीपी नहीं रहा. हालांकि भाजपा नेता उन्हें निर्विवाद डीजीपी बताते रहे, लेकिन राजनीति और प्रशासन की खबरों को कवर करने वाले मानते हैं कि उनके पद में बने रहने के दौरान माओवाद की घटनाओं में जबरदस्त ढंग से इजाफा हुआ और उन पर भाजपाई मानसिकता के हिसाब से काम करने का आरोप भी लगा. नए डीजीपी के पटवारी जैसा होने और उनके चालू प्रभार पर विश्वरंजन कहते हैं- प्रशासनिक तौर पर तो हर प्रभार चालू ही होता हैं. वैसे सुप्रीम कोर्ट का साफ निर्देश है कि कोई भी नई सरकार मुख्य सचिव तो बदल सकती है, लेकिन डीजीपी को बदलने के लिए यूपीएससी को पैनल भेजेगी. विश्वरंजन कहते हैं सरकार अधिकतम पांच नाम भेज सकती है जिसमें से तीन नाम ओके होकर आएंगे. खबर है कि सरकार ने पैनल में डीएम अवस्थी के अलावा, संजय पिल्ले, आरके विज के अलावा एक अन्य अफसर का नाम 19 दिसम्बर को ही यूपीएससी के समक्ष भेज दिया था.

पहली बार नहीं हुआ ऐसा..

छत्तीसगढ़ में डीजी रैंक के अफसरों में 1983 बैच के गिरधारी लाल नायक सबसे वरिष्ठ हैं, लेकिन रमन सरकार ने उनकी वरिष्ठता को किनारे पर रखकर वर्ष 1985 बैच के अफसर उपाध्याय 2014 में डीजीपी बना दिया था. नायक फिलहाल डीजी होमगार्ड व जेल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जब उपाध्याय डीजीपी बनाए गए तब राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में यह बात प्रचारित की गई कि वे सत्यवादी राजा हरीशचंद्र की परम्परा के सच्चे संवाहक है. उनके पास बेहद कम कपड़े हैं. वे नारियल की रस्सी से बुनी गई एक छोटी सी खाट में सोते हैं और छोटा सा मोबाइल रखते हैं. धीरे-धीरे पत्रकार ही गृहमंत्री से इस बात की शिकायत करने लगे कि जब भी फोन लगाओ- ओम जय-जगदीश हरे… स्वामी जय-जगदीश हरे… गाना सुनाई देता है. सत्ता परिवर्तन के बाद उपाध्याय साहब रिंग टोन बदलना भूल गए और रुखसत कर दिए गए. बुधवार को पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र सौंपकर पूर्व डीजीपी एएन उपाध्याय की भूमिका को आरोपों के कटघरे में खड़ा कर दिया है.

इधर नए डीजीपी डीएम अवस्थी जिन्हें पटवारी का तमगा दिया गया है उस पटवारी को नई सरकार ने सबसे काबिल अफसर माना है. लंबे समय तक राज्य के खुफिया विभाग की कमान संभाल चुके डीएम अवस्थी के बारे में यह मशहूर है कि संतुलन के साथ काम करना जानते हैं. ईओडब्ल्यू- एसीबी प्रमुख रहे डीएम अवस्थी के साथ एक अच्छी बात भी यह भी है कि एक अस्पताल के लिए लोगों को डरा-धमकाकर लंबा-चौड़ा डोनेशन बटोरने वाले एक पुलिस अफसर के अलावा दूसरा कोई भी उनका शत्रु नहीं है. कह सकते हैं कि अवस्थी का नाम कभी भी किसी विवाद में नहीं पड़ा। अपनी बेदाग छवि और फेयर पुलिसिंग की वजह से ही वे इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

छत्तीसगढ़ के अब तक के डीजीपी..

– श्रीमोहन शुक्ला 1 नवंबर 2000 से 26 मई 2001

-आरएलएस यादव 26 मई 2001 से 31 जनवरी 2002

– वीके दास 01 फरवरी 2002 से 30 सितंबर 2002

– अशोक दरबारी 01 अक्टूबर 2002 से 15 जुलाई 2004

– ओपी राठौर 15 जुलाई 2004 से 21 मई 2007

– विश्वरंजन 20 मई 2009 से 18 जुलाई 2011

– अनिल एम. नवानी 18 जुलाई 2011 से 30 नवंबर 2012

– रामनिवास 30 नवंबर 2012 से 31 जनवरी 2014

– अमरनाथ उपाध्याय 01 मार्च 2014 से 20 दिसंबर 2018

– डीएम अवस्थी- 20 दिसंबर 2018 से निरंतर

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