बिलासपुर.ये खबर जिले में शिक्षा विभाग के लिए भले अच्छी होंगी मगर तबादला उद्योग की सच्चाई जानकर सभी हैरान हो जाएंगे कांग्रेस संगठन को दरकिनार कर जिले में गुरुजियों ताबड़तोड़ तबादला किया गया है चर्चा है कि प्रभारी मंत्री से नजदीकी के चलते तबादला उद्योग का सारा खेल एक महिला कांग्रेस की विधायक के पति के साथ विभाग के ही नेहरू नगर में रहने वाले बाबू की शह पर किया गया है।
जिले में थोक के भाव में गुरुजियों के तबादला उद्योग में कांग्रेस संगठन ताकता रह गया और जिला शिक्षा विभाग को चलाने वाले ‘सब पर भारी’ बाबू ने बाजी मार ली और इसमें पचास लाख तक का गेम बजने का डीईओ आफिस में हल्ला है। हालत यह रही कि प्रदेश में बदल कर कांग्रेस की सरकार तो आ गई, लेकिन सिस्टम में कोई बदलाव नहीं दिखा। हर साल की तरह जिले में तबादला करने के लिए पुरानी नीति को ही अपनाया गया। इस कड़ी में ठीक पहले जिले के प्रभारी मंत्री बिठाकर उनसे अनुमोदित सूची को कलेक्टर के जरिए अमल में लाने की कवायद की गई। यानी इस मामले में भाजपा सरकार और संगठन की जुगलबंदी की तरह की कोशिश कांग्रेस संगठन ने की, मगर कल लिस्ट निकलने के बाद सबने कहा कि यह फेल हो गई। जिले में सोलह हजार शिक्षक हैं, इनमें से प्रधानपाठक, व्याख्याता एलबी वर्ग के 258 लोगों को तबादला किया गया।
इसके लिए कांग्रेस संगठन के अलग -अलग खेमो ने अपनी अपनी सूची बनाई और जिले के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू को सौंप दिया। पांच, दस नाम क्षेत्रो के कांग्रेस विधायकों ने भी नाम दिए थे । सारी सूचियां जाकर डंप हो गईं प्रभारी मंत्री के पास। इधर जिला शिक्षा विभाग ने भी एक सूची प्रशासकीय आधार बनाकर तैयार की थी। इस विभाग में डीईओ को चलाने वाले सब पर भारी बाबू ने सूची तैयार कराई, जिसके लिए करीब 200 लोगों से 25 से पचास हजार रुपए तक की रकम ऐंठी गई। तबादला तिथि के अंतिम दिवस से ठीक पहले इस मालदार सूची को देखते ही प्रभारी मंत्री की ओर से हरी झंडी मिल गई और कलेक्टर ने तबादला आदेश जारी कर दिए। इसके बाद कांग्रेस का स्थानीय संगठन और नेता यहां तक विधायक तक देखते रह गए।