बिलासपुर.झीरम घाटी में कांग्रेसियों पर हमला नहीं बल्कि नरसंहार है जो पूरी तरह से प्रशासनिक चूक को दर्शाता है.झीरम में हुई घटना को बड़े परिश्रम के बाद मैंने झीरम के अधूरे सच को पुस्तक में उकेरने का प्रयास किया है. यह लेख पूरी तरह दस्तावेजों के आधार पर है.भविष्य में झीरम का पूर्ण सच लाने की कोशिश जारी है।
ये कहना है रायपुर निवासी जानेमाने Rti एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला का. बुधवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए उन्होंने पांच साल पूर्व 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान बस्तर के झीरम घाटी में देश के सब से बड़े राजनीतिक हमले में मारे गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं समेत 27 लोगों पर हुए नक्सली हमले के अधूरे सच के बारे में अपनी बातें रखी। श्री शुक्ला ने बताया कि झीरम का अधूरा सच सिर्फ पुस्तक नहीं एक दस्तावेज है. इसे कागजों के आधार पर उकेरने का प्रयास किया गया है। पिछले दो सालों से लगातार इस घटना को लेकर श्री शुक्ला पत्नी प्रीति उपाध्याय के साथ एक एक पहलू पर नजर बनाकर पुस्तक को मूर्त रूप दिया है। परिवर्तन यात्रा में अब तक सब से बड़ी चूक प्रशासनिक तंत्र की है.जिसकी वजह से नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया और इस बात को सरकार समेत तमाम अधिकारियों ने भी माना है।श्री शुक्ला ने बताया कि पुस्तक लिखने के दौरान उन तथ्यों का पता चला जिसमें नक्सलियों को बाहरी और चाइना की ताकत मिलने की बात सामने आई है. इसका वर्णन पुस्तक में किया गया है।
25 मई को किया विमोचन..
झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी जिसकी याद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओ को श्रद्धांजलि देने 25 मई को रायपुर में पुस्तक का विमोचन किया गया है। श्री शुक्ला की माने तो अगर ये हमला विश्व के किसी दूसरे कोने में होता तो आज तक उस पर डाक्यूमेंट्री बन जाती मगर छत्तीसगढ़ में ये संभव नहीं हुआ। मामला कोर्ट में होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने कोई दुस्साहस नहीं किया अगर इस पुस्तक से कोर्ट को कोई दिशा मिलती है तो उसका भी स्वागत है।
जंग की तैयारी नहीं, जनहित की बात..
पुस्तक के हिसाब से जंग किसी जंग की तैयारी की बात पर श्री शुक्ला कहते हैं कि पूरी पुस्तक दस्तावेजों के आधार पर बनी हैं मैं कोई जंग की तैयारी नहीं जनहित कि बात कर रहा हूं.
Omg से की खास चर्चा,भेंट की पुस्तक..
कुणाल शुक्ला दंपती प्रेस कांफ्रेंस के बाद लिंक रोड़ स्थित वीआर प्लाजा में omg news network के ऑफिस पहुंचे.उन्होंने खास बातचीत में बताया कि पुस्तक लिखने की सोच उन्हें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल और अन्य लोगों को खोने के बाद आई. काफी प्रयास के बाद बहुत सारी खोज करने के बाद पुस्तक लिखी गई। फिलहाल झीरम घाटी का अधूरा सच पुस्तक अमेजोन के अलावा बिलासपुर के श्री बुक डिपो और जीत टाकीज परिसर स्थित बुक चॉइस से पाठक ले सकते हैं।