बिलासपुर. डिजिटल इंडिया के नाम पर जनता की जेब चुपके से काटने का इस वित्तीय वर्ष में एक और मामला सामने आया है। इस बार निर्माण एवं आपूर्ति
कार्य में लगे ठेकेदारों की अमानत राशि में छत्तीसगढ़ सरकार ने खयानत कर दी है।
नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, पीएचई, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग जैसे निर्माण कार्य में लगे ठेकेदारों से पहले कोई भी काम का टेंडर भरते समय अमानत राशि लिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए पहले ठेकेदार से निर्माण कार्य की लागत का एक प्रतिशत और सामान आपूर्ति का तीन प्रतिशत बैंक का फिक्स डिपाजिट मांगा जाता था। इससे ठेका मिले न मिले पर टेंडर भरने वाले को अमानत राशि का ब्याज छह प्रतिशत तक बैंक से मिला करता था।
अब आए डिजिटल नियम..
केन्द्र की मोदी सरकार जो कर रही है सो अलग छत्तीसगढ़ सरकार ने डिजिटल
फ्रेम पर अपना भी एक नियम चस्पा कर दिया है। इसके अनुसार ठेका आनलाइन भरते वक्त अब एफडीआर नहीं चलेगा। सीधे यह राशि चिप्स के खाते में आनलाइन जमा करनी होगी। फिर ठेका नहीं मिला या टेंडर निरस्त हुआ तो विभागीय लिखापढ़ी के बाद यह रकम वापस खाते में आएगी। जिसका की कोई ब्याज नहीं मिलेगा बल्कि यह ब्याज करोड़ों रुपए में सरकार खाएगी। रि टेंडर में भी यह राशि समायोजित नहीं होगी बल्कि फिर से अमानत राशि भरनी होगी।
ठेकेदारों का संघ खामोश..
चुनावी वर्ष में धकापेल काम कराने का ठेकेदारों पर दबाव है। ऐसे में ठेकेदार संघ यदि इस बात को लेकर विरोध पर उतर आया तो सरकारी काम के लेने
देने पड़ जाएंगे फिर भी पता नहीं क्यों संघ के पदाधिकारी भी खामोश हैं।
लेकिन इससे छोटे ठेकेदारों को नए काम लेने में आर्थिक दिक्कतों से जूझना
पड़ रहा है।अमानत राशि वापस दिलाने की लिखापढ़ी करने अलग से कमीशन देना
पड़ेगा सो अलग।
ये कहना है चिप्स का..
चिप्स के टोल फ्री नम्बर पर बताया गया कि चिप्स छत्तीसगढ़ सरकार का ही विभाग है जिसके खाते में रकम जमा हो रही है। टेंडर नहीं मिलने की विभागीय
रिपोर्ट आते ही रकम वापस खाते में ट्रांसफर की जारही है। इस रकम का ब्याज आदि देने की व्यवस्था से चिप्स ने इनकार किया है।