51 साल के सोनम वांगचुक ने लद्दाख में शिक्षा संस्कृति और पर्यावरण के जरिए सामुदायिक प्रगति के लिए काम किया है. सोनम वांगचुक ने स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की और लद्दाखी छात्रों को कोचिंग देना शुरू किया. 1994 में वांगचुक ने ‘ऑपरेशन न्यू होप’ शुरू किया.
आप लोगों को राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर खान का किरदार तो याद ही होगा. फिल्म के अंत में लद्दाख की वादियों में आमिर खान फुनसुक वांगड़ू के किरदार में दिखते हैं, जो बच्चों के लिए इनोवेटिव तरीके से शिक्षा की अलख जगाता है. आमिर खान का ये किरदार सोनम वांगचुक से प्रेरित था. अब सोनम वांगचुक को इस साल का रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया जाएगा. उनके साथ डॉ. भारत वटवानी को भी मैग्सेसे अवॉर्ड दिया जाएगा. इस बार कुल 6 लोगों को इस सम्मान के लिए चुना गया है.
लद्दाख के आविष्कारक और सुधारवादी..
‘थ्री इडियट्स’ की प्रेरणा वांगचुक ही थे. उन्हें उत्तर भारत के दूरस्थ इलाकों में सीखने की प्रणाली में अपने विशिष्ट व्यवस्थित, सहयोगी और समुदाय संचालित सुधार के लिए मान्यता मिली, जिसने लद्दाखी युवाओं के जीवन में व्यापक तौर पर सुधार किया. सोनम वांगचुक ने एनआईटी श्रीनगर से इंजीनियरिंग की है. वांगचुक ने 1988 में इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) की स्थापना की. सोनम को एसईसीएमओएल परिसर को डिजाइन करने के लिए भी जाना जाता है जो पूरी तरह से सौर-ऊर्जा पर चलता है, और खाना पकाने, प्रकाश या तापन (हीटिंग) के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है.
इसीलिए उन्हें लद्दाख का इंजीनियर, आविष्कारक और शिक्षा सुधारवादी कहा जाता है. एशिया का नोबेल पुरस्कार माने जाने वाले रेमन मैग्सेसे अवार्ड को एशिया के व्यक्तियों एवं संस्थाओं को अपने क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रदान किया जाता है.