दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: ’’आप’’ जैसा कोई नहीं..

‘विजया पाठक’

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में सभी दलों ने कमर कस ली है। सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। BJP ने अभी तक 57 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है।

कांग्रेस 54 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। AAP की चुनावी तैयारियों की बात करें तो पार्टी जमीनी स्तर के अलावा सोशल मीडिया पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही है और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक AAP सरकार के पिछले पांच साल के विकास कार्यों को गिनवा रही है। लेकिन यह भी सच है कि पिछले पांच सालों में दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के लिए जो काम किए हैं वह अभी तक किसी भी सरकार ने नहीं किया है। यही कारण है कि 2020 के चुनाव में आप को दिल्लीम की जनता दोबारा सत्ता पर बिठाया चाहती है।

यह बात सर्वे के दौरान सामने आई है। आप सरकार ने आम आदमी और गरीब लोगों के लिए ऐसी तमाम योजनाएं चलाई हैं जिनने जनता का दिल जीत लिया है। खासकर जो वाकई में वोट डालते हैं उनके लिए तो केजरीवाल सरकार ने बहुत काम किया है। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार ने काफी काम किया है। निश्चित तौर पर ऐसी सरकार को दोबारा सत्ता पर आना चाहिए जो लोगों के हितों का ध्यान रखकर कार्य करती है। सवाल है कि क्या भाजपा 2019 लोकसभा के चुनाव के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी, जिसमें 70 में से 65 विधानसभा सीटों पर बढ़त पाई थी?

सवाल यह भी क्या आम आदमी 2015 के चुनावों को दोहरा पाएगी, जिसने 70 में से 67 सीटें जीती थी। सवाल यह है कि इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है? आम आदमी पार्टी की ताकत है- मुफ्त बिजली-पानी की योजना, जिसने आम लोगों में जगह बनाई है। साथ ही शिक्षा व्यवस्था में भी बड़े स्तर पर सुधार किया है, उसका असर देखने का मिल रहा है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का भी असर पड़ा है, जिसमें मोहल्ला क्लीुनिक की अहम भूमिका है। साथ ही परिवहन सुविधा में महिलाओं को मुफ्त आवाजाही की सुविधा दी दी गई है। इसका भी असर देखने को मिलेगा। इसके साथ पिछले कुछ साल में आम आदमी पार्टी की कमजोरी भी देखने को मिली है। इस चुनाव में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार वि‍श्वास, कपिल मिश्रा, अलका लांबा जैसे पुराने रणनीतिकारों का साथ नहीं मिलेगा।

ऐसे में पार्टी मुख्य रूप से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर निर्भर है। इसके साथ-साथ पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार से भी संबंध खराब रहे। यहां पर उपराज्यपाल से भी तनाव पूर्ण सबंध रहे। बावजूद उसके भी दिल्लीे में एक बार फिर आप की सरकार बनने जा रही है। दलगत और अन्य मुद्दों से अलग दिल्ली की जनता विकास और सुविधाओं को प्राथमिकता दे रही है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों के अभिभावकों और स्कूल के शिक्षकों को मिलाकर मैनेजमेंट कमिटी बनाई गईं हैं और वो इन स्कूलों की बेहतरी के लिए शानदार काम कर रही हैं, जिसके नतीजे सरकारी स्कूलों के तेज़ी से होते कायाकल्प के रुप में सामने आ रहे हैं। हार्वर्ड का ये एजुकेशन स्कूल इसी बात पर रिसर्च करेगा कि कैसे जनता की सहभागिता से सरकारी स्कूलों में इतना शानदार काम सफलतापूर्वक किया जा रहा है? दिल्ली में 8 फरवरी को वोटिंग है और 11 फरवरी को चुनाव नतीजे आएंगे।

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