नगर विधायक की लगातार उपेक्षा ने कांग्रेस संगठन को कटघरे में किया खड़ा,आखिर क्यों?

‘श्रिया पांडेय’

बिलासपुर.नाराजगी और गुटबाजी तब तक जायज लगती है जब तक चुनाव न संपन्न हो जाए चुनाव जीतने के बाद जनता के बम्फर वोट के बाद अगर उनके क्षेत्र के विधायक की उपेक्षा उसी सरकार के द्वारा की जाएगी तो इसका खामियाजा सत्तारूढ़ पार्टी को भुगतना ही पड़ेगा।

शहर के वर्तमान विधायक शैलेश पाण्डेय जिन्होंने 4 बार के विधायक और 3 बार के मंत्री अमर अग्रवाल को चुनाव में करारी शिकस्त दी उनको भले ही मंत्री न बनाया गया हो पर वह हैं तो जनता के चुने हुवे विधायक.. उनका अपमान तो जनता का अपमान है ध्वाजारोहण करने से कोई महान नही बनता लेकिन शहर के ढाई लाख वोटरों ने अपना वोट उन्हें इसलिए दिया है ताकि वे उनका प्रतिनिधित्व कर सके लेकिन ध्वजारोहण में तखतपुर की विधायिका को आमंत्रित कर उन्हें मुख्यातिथि बनाना कहा का न्याय है इस घटना से भले ही श्री पांडेय को छोटा दिखाने की कोशिश की जा रही हो लेकिन कांग्रेस पार्टी को ये समझना चाहिए कि सामने लोकसभा चुनाव है इस हरकत का जवाब उन्हें बिलासपुर की जनता चुनाव में बखूबी दे सकती है

यह कतई नही भूलना चाहिए कि रायपुर शहर के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर 27 जिलों में बिलासपुर ही है यह कोई पहली घटना तो है नही जिसे नजर अंदाज कर दिया जाए जिला अध्यक्ष नरेंद्र बोलर द्वारा सरेआम विधायक का हाथ पकड़ना, कुर्सी न देना. इन सबका क्या नतीजा निकलेगा ये बात शायद कांग्रेस पार्टी या तो भूल गई है या उन्हें पता नही है.जीत के जश्न में इतना मत मग्न होइए की आप ये तक भूल जाए कि वो सिर्फ आपकी पार्टी का एक छोटा सा विधायक नही बल्कि 7 विधानसभा सीट वाले सबसे बड़े जिले का विधायक है. 26 जनवरी में अभी भी वक्त है मौका रहते यदि इस गलती को कांग्रेस सुधार सकती है तो शायद जनता के आक्रोश से बच सकती है नही तो एक बार फिर बिलासपुर की जनता ये सोचने को मजबूर हो जाएगी की क्या यही दिन देंखने के लिए 20 साल बाद काँग्रेस को मौका दिया है।

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