रायपुर. छत्तीसगढ़ PHQ में “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन देने का “गोरखधंधा” का हुआ खुलासा ……….. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में “दर्जनों अपात्रों” को मोटी रकम लेकर दिया गया प्रमोशन
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छत्तीसगढ़ PHQ में “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन देने का “गोरखधंधा” का हुआ खुलासा ……….. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में “दर्जनों अपात्रों” को मोटी रकम लेकर दिया गया प्रमोशन
छत्तीसगढ़ PHQ में “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन देने का “गोरखधंधा” का हुआ खुलासा ……….. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में “दर्जनों अपात्रों” को मोटी रकम लेकर दिया गया प्रमोशन
रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में पूर्ववर्ती डीजीपी ए.एन. उपाध्याय के कार्यकाल में मैदानी इलाकों में तैनात कई अपात्र पुलिस कर्मियों को “आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन” दिया गया था | हालांकि इन मामलों में पूर्व डीजीपी ए.एन. उपाध्याय की भूमिका सिर्फ “मूकदर्शक” की थी | उनकी लचर कार्यप्रणाली के चलते सैकड़ों “योग्य ” पुलिस कर्मी सिर्फ पदोन्नति ही नहीं बल्कि सरकारी ईनाम और पुलिस पदकों से वंचित हो गए | इसी महकमे का “वर्दीधारी डकैत” मुकेश गुप्ता अपने गिरोह के जिन चुनिंदा सदस्यों के नाम “डीजीपी साहब” की टेबल पर रखता था , उन्हें “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन देने की वो ना केवल सिफारिश करते थे बल्कि उनकी ” उपलब्धियों ” का परीक्षण किये बगैर ऐसे कुपात्र कर्मियों के “ऑर्डर” PHQ से जारी करवाया करते थे | ए.एन. उपाध्याय की “डीजीपी” के पद से रवानगी होने के बाद उन पुलिस कर्मियों का भी खुलासा होने लगा है , जिन्हे बगैर किसी ठोस उपलब्धियों के “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन दिया गया था | बताया जाता है कि पूर्व डीजीपी ए.एन. उपाध्याय के कार्यकाल में आरोपी मुकेश गुप्ता ने लगभग दो दर्जन ऐसे पुलिस कर्मियों को “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन दिलाया जो ना केवल अपात्र थे ,
केवल अपात्र थे , बल्कि दागी भी थे | इनमे EOW में पदस्थ सब इंस्पेक्टर राकेश जाट और रेखा नायर समेत अन्य जिलों में पदस्थ कुल 26 महिला- पुरुष , पुलिस कर्मी शामिल है | दिलचस्प बात यह है कि इनमे से ज्यादातर पुलिस कर्मियों का कार्यकाल लूटपाट और अपराधिक आचरण जैसी कार्यशैली में शामिल रहा है | बताया तो यह भी जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता किसी भी पुलिस कर्मी को “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन देने के लिए दो तरह की शर्त रखा करता था | इसमें पहली शर्त उसकी बेनामी संपत्ति खपाने का वादा , और दूसरी “मोटी रकम” का लेनदेन शामिल होता था | इसी आधार पर उसने कई “पुलिस मेडल” भी दिलवाये थे |
गंभीर बात यह है कि “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन पाने वाले कई ऐसे पुलिस कर्मी थे , जिनकी नियुक्ति “अर्दली” और “सिपाही” जीडी के पद पर हुई थी | लेकिन “डकैत डीजी ” मुकेश गुप्ता के गिरोह में शामिल होने के चंद माह में के भीतर ही उन्हें धड़ाधड़ पदोन्नति और “ईनामी रकम ” दी जाने लगी | और तो और कई पुलिस कर्मियों को इस “डकैत ” ने “राज्य अलंकरण” समारोह और राष्ट्रीय पर्वो पर “पदक” भी दिलवा दिए थे | सिर्फ आरोपी मुकेश गुप्ता ही नहीं बल्कि पूर्व डीजीपी ए.एन. उपाध्याय के कार्यकाल की जांच की जाए तो कायदे कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने के एक से बढ़कर एक खुलासे सामने आएंगे |
इसी कड़ी में EOW में “अर्दली” के पद पर तैनात राकेश जाट का नाम सबसे ऊपर है | इस शख्स ने “अर्दली ” के पद से “सब इंस्पेक्टर” के पद का सफर मात्र चार माह में पूरा कर लिया था | EOW के तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता ने चार माह में इसे दो बार “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन देकर “सब इंस्पेक्टर” बना दिया था | राकेश जाट पिता हीरालाल जाट 24.04.1999 को “अर्दली ” के पद पर भर्ती हुआ था | मुकेश गुप्ता का विश्वासपात्र बनने के बाद दिनांक 19.08.2013 को उसे क्रमपूर्व पदोन्नति देते हुए “एएसआई” बनाया गया | इसके उपरांत 11.12. 2013 को एक अन्य आद
11.12. 2013 को एक अन्य आदेश कर उसे क्रमपूर्व पदोन्नति देते हुए “सब इंस्पेक्टर ” बनाया गया | सिर्फ राकेश जाट ही नहीं बल्कि हवलदार रेखा नायर , अतुलेश राय , मोहम्मद कलीम खान , अमरीश शर्मा , परमानंद सिंह समेत लगभग दो दर्जन ऐसे पुलिस कर्मी है , जिन्हे पूर्व डीजीपी ए.एन. उपाध्याय के कार्यकाल में आँख मूंद कर क्रमपूर्व पदोन्नति दी गई थी | वही दूसरी ओर इस दौरान दर्जनों ऐसे पुलिस कर्मियों के “आउट ऑफ़ टर्न” प्रमोशन के प्रकरण लंबित रहे , जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर नक्सलियों को “मुंहतोड़” जवाब दिया था |
बताया जाता है कि “डकैत डीजी ” मुकेश गुप्ता ने ज्यादातर उन पुलिस कर्मियों को “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन , ईनाम और मेडल दिलवाये , जिन्होंने उसके निर्देश पर कई अपराधों को अंजाम दिया था | पड़ताल में यह भी पता पड़ा है कि मुकेश गुप्ता की अवैध कमाई का कुछ हिस्सा इन पुलिस कर्मियों के परिजनों के नाम पर भी निवेश किया गया है | इसमें “सुपर 26 ” नामक गिरोह के पुलिस कर्मी भी शामिल है | जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि हवलदार रेखा नायर की बहन गीता नायर और उसके पिता समेत कई सगे संबंधियों के नाम पर डकैत डीजी मुकेश गुप्ता ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है |
अब यह देखना गौरतलब होगा कि पारदर्शितापूर्ण कार्यप्रणाली का दावा करने वाले डीजीपी डीएम अवस्थी क्या उन पुलिस कर्मियों की फाइल खोलेंगे , जिन्होंने अपात्र होते हुए भी “आउट ऑफ़ टर्न ” प्रमोशन पाया है | पुलिस “पदकों”, ईनामों और “अलंकरणों ” को अर्जित करने वाले कुपात्रों की “उपलब्धियों” पर भी मौजदा “डीजीपी साहब” को गौर फरमाना होगा | ताकि भविष्य में “योग्य” पुलिस कर्मियों को उनकी “उपलब्धियों” का प्रतिसाद मिल सके |