बिलासपुर.प्रदेश के बहुचर्चित भदौरा जमीन घोटाले के 35 आरोपी अब तक फरार है जिसमे इस घोटाले के मास्टर माइंड मस्तूरी के तत्कालीन एसडीएम वीरेन्द्र लकड़ा, योगेश शुक्ला रजिस्ट्रार व एके मार्बल तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ आरोप दर्ज होने के बाद से पुलिस की डायरी में अब भी फरार बताए जा रहे हैं इस मामले में रोचक तथ्य है कि इनमे से एसडीएम वीरेन्द्र लकड़ा वर्तमान में मस्तूरी एसडीएम के चार्ज में है।
वही एके मार्बल तहसीलदार कटघोरा क्षेत्र में अपनी सेवाए दे रहे है बावजूद इसके जमीन घोटाले के मामले में उक्त आरोपियों के खिलाफ कारवाई नहीं की जा रही है जबकि प्रदेश के सभी बड़े मामलों को लेकर राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन कर उक्त मामलों की जांच करा रही है ऐसे में भदौरा जमीन घोटाले के मामले पर भी सरकार को संज्ञान लेते हुए एसआईटी गठित कर जांच कराने की मांग उठने लगी है
गौरतलब है कि मस्तूरी के ग्राम भदौरा में निजी कंपनियों द्वारा जमीन की खरीदी-बिक्री मामले में पुलिस ने वर्ष 2013 में 14 से अधिक आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था मामला सरकारी जमीनों की खरीदी-बिक्री और राजस्व दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर किसानों की जमीनों को हड़पने का था। इसमें पंच, सरपंच,तहसीलदार, पटवारी, जमीन दलाल व अन्य ग्रामीण सहित कई लोग आरोपी बने। मामले की गूंज राज्य स्तर पर हुई। जांच के बाद पुलिस ने 7 अलग-अलग प्रकरण बनाकर चालान पेश किया था। कुछ फरार आरोपियों की तलाश भी चल रही थी। वही 22 मार्च 2016 को पुलिस ने दो फरार आरोपी अशोक सिंह पिता पवन सिंह व विशुन राठौर पिता रामधन को उनके घर से गिरफ्तार किया था।
इस मामले में अक्टूबर 2014 में गांधी चौक निवासी रफीक मोहम्मद, ग्राम उरतुम निवासी व भदौरा के तत्कालीन पटवारी फिरोज मेमन, भदौरा के उप सरपंच नरेंद्र सिंह उर्फ कल्लू व इसी गांव के विनोद सिंह को भादवि की धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471, 419, 201 के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल का कारावास व 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
पुलिस रिकॉर्ड में फरार मगर बने है सरकारी दामाद..
मस्तुरी क्षेत्र बहुचर्चित भदौरा जमीन घोटाले में आरोपियों के खिलाफ कई बड़े खेल खेले गए मामले की जांच के दौरान केवल तीन लोगो के खिलाफ गिरफ्तारी की गई जिन्हें सजा भी मिली मगर इस मामले में कई ऐसे नामजद आरोपी है जो सरकारी नौकरी में है और बड़े ही मजे से नौकरी कर रहे है मगर पुलिस के रिकॉर्ड में ये आरोपी फरार बताए जा रहे है।
मिली भगत का खेल जोरो पर..
एनटीपीसी पॉवर प्लांट में चलने वाली लगभग सभी भारी वाहन जेपी एसोसिएट के है जिसका संचालन जयप्रकाश सिंह व पार्टनर आसिफ खान के द्वारा किया जाता है इन दोनों के द्वारा ही एनटीपीसी में सालो से भारी वाहनों के परिवहन का ठेका लिया जा रहा है जो बेरोक टोक अपने वाहनों का परिचालन बेबाकी से करते आ रहे है सूत्रों की माने तो पिछले 15 वर्षो तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही इस दौरान मुख्यमंत्री के पुत्र व सांसद अभिषेक सिंह के साथ जेपी एसोसिएट के संचालक जयप्रकाश सिंह के व्यापारिक संबंध रहे जिसके चलते लगातार एनटीपीसी का वाहन ठेका इन्हें मिलता रहा वही भाजपा की सरकार बदलने के बाद जेपी एसोसिएट के संचालको ने कांग्रेस के नेताओ के नाम का उपयोग कर पुन: एनटीपीसी में अपना राज कायम करने में लगे हुए है जेपी एसोसिएट के वाहनों से क्षेत्रवासी भयभीत रहते है क्योकि इनके वाहनों की रफ़्तार कभी भी किसी ग्रामीण की जान ले सकती है वही दुर्घटना के बाद भी इनके वाहनों व चालको के खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही भी नहीं होती है| क्षेत्र के एसडीएम वीरेंद्र लकड़ा से ग्रामीणों ने जेपी एसोसिएट के भारी वाहनों के खिलाफ शिकायत की थी मगर जेपी एसोसिएट के संचालको व एसडीएम की मिली भगत होने की वजह से इनके खिलाफ कारवाई नहीं की जाती है।