बिलासपुर। प्रदेश में गुरुओं के साथ हो रहे अन्याय को देखते हुए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कांग्रेस प्रवक्ता प्रवक्ता और शिक्षाविद शैलेश पांडे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में हर दिन गुरुओं का अपमान हो रहा है सम्मान तो दूर भाजपा सरकार उन्हें सम्मानजनक वेतन भी नहीं दे रही है।
शिक्षाकर्मियों के साथ जो अन्याय हुआ है वह प्रदेश की जनता के सामने हैं । लंबे समय के आंदोलन के बाद सरकार ने संविलियन के नाम पर धोखा देने के लिए नया षड्यंत्र रचा है। जिसके आधार पर अब उनके अधिकारों की बातें भी गोल-गोल की जा रही है। शैलेश पांडे ने कहा कि प्रदेश में लगभग 180000 शिक्षाकर्मी हैं, जबकि बिलासपुर जिले में 15,000 शिक्षाकर्मी हैं।सम्मानजनक वेतन की मांग को लेकर उनका आंदोलन वर्षों से चल रहा है।अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसी हक की लड़ाई में 10 शिक्षकों की जान तक चली गई है।लेकिन इसके बाद भी शासन ने षड्यंत्र करते हुए संविलियन करने की बात करके धोखा दिया है । सरकार सरकारी शब्दजाल और नीतियों में फसाकर संविलियन के नाम पर धोखा दे रही है। श्री पांडे ने कहा कि शिक्षक के सम्मानीय शब्द का अपमान करते हुए शिक्षक एल बी याने कि लोकल बॉडी नाम जोड़कर पूरे शिक्षा जगत का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि यही हाल उच्च शिक्षा का भी है उच्च शिक्षा में बिलासपुर संभाग के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सैकड़ों पद खाली हैं । जिनको भरा नहीं गया है । बिलासपुर विश्वविद्यालय लगभग 200 पदों में प्राध्यापकों की भर्ती की जानी है इसी तरह बिलासपुर विश्वविद्यालय में ही नॉन टीचिंग स्टाफ कि 55 पदों में भर्ती पिछले 3 साल से अटकी हुई है। श्री पांडे ने कहा कि पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय आज भी संविदा के शिक्षकों और अधिकारियों पर चल रहा है । गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में संविदा प्राध्यापकों शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई कराई जा रही है । बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पूरे प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था और उच्च शिक्षा व्यवस्था सिर्फ और सिर्फ संविदा शिक्षकों और संविदा प्राध्यापकों के भरोसे चल रही है , लेकिन सरकार इस बात को नहीं समझ रही है इन को एक सम्मानजनक वेतन दिया जाना चाहिए और पूरे सम्मान से उस पद का भी नाम रखा जाना चाहिए। शैलेश पांडे ने कहा कि आज हर स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में गुरुओं का सम्मान किया जा रहा है लेकिन सच तो यह है कि पिछले 3 बार से सत्ता में बैठी भाजपा सरकार ना तो इनका सम्मान करना चाहती और ना ही इन्हें सम्मानजनक वेतन देना चाहती यह तो कारोबारियों और व्यापारियों और उद्योगपतियों की सरकार है जो मुनाफाखोरी के आधार पर चल रही है।