मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने तबाह कर दिया बच्चे का भविष्य..

‘विजया पाठक’


राजकुमार कॉलेज के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव जिन्हें टीएस बाबा के नाम से भी जाना जाता है। वह अपनी राजशाही और सत्ता के पॉवर में इतने मगरूर हैं कि उन्हें प्रदेश की जनता की आवाज ही नहीं सुनाई दे रही है। ताजा मामला छात्र शिरीष पाठक का है जिसका तीन साल पहले राजकुमार कॉलेज में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कक्षा दूसरी में दाखिला हुआ था।

लेकिन प्रदेश सरकार ने इस कानून के तहत समय पर फीस नहीं भरी तो कॉलेज प्रबंधन ने इसे कॉलेज से निकाल दिया और परीक्षा तक नहीं देने दी। आज शिरीष दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है और न्याय की गुहार लगा रहा है। यहां सवाल टीएस बाबा की हठधर्मिता का भी है जिन्होंने मामूली फीस के चलते एक बच्चे का भविष्य तबाह कर दिया। क्या टीएस सिंहदेव सत्ता और राजागिरी में अपनी इंसानियत भी भूल गए। आखिर यह मंत्री हैं, नेता हैं या राजा हैं तो प्रजा से दूरी कैसे बना सकते हैं।

राजकुमार कॉलेज के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव ने उस बच्चे की मदद करने से साफ़ इंकार कर दिया। हर बच्चे को शिक्षा मिले इसके लिए योजनाओं बनाने वाले मंत्री, स्कूल प्रबंधन पर कड़ाई करने के बजाय शिक्षा के अधिकार के तहत हुए छात्र शिरीष की मदद करने से इंकार क्यों कर रहे हैं, यह समझ से परे है। टी.एस सिंहदेव से छात्र ने एक नहीं अपितु कई बार मिलकर मिन्नतें की, लेकिन अफ़सोस मंत्री ने यह कहकर मुंह फेर लिया कि पढ़ाई करवाने से किसी ने मना नहीं किया है, उचित फीस भरकर पढ़ाई करवा दीजिये।

टीएस बाबा अगर बच्चे के पास फीस भरने के लिए पैसे होते तो वह आपसे मदद की गुहार नहीं लगाता। आपको इतनी समझ तो होनी चाहिए। आप प्रदेश के मंत्री हैं, राजघराने के ताल्लुक रखते हैं लेकिन अफसोस आमजन से वास्ता नहीं रखते। आप चाहते तो एक बच्चे का भविष्य तबाह होने से बच जाता। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारा एक बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाने में पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। रायपुर के राजकुमार कालेज में हजारों राजकुमार पढ़कर निकल गए लेकिन एक आम आदमी के बच्चे को शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पढ़ाई का लाभ नहीं मिल पाया। वाकई यह राजकुमार कालेज है, जहां गरीबों लिए कोई जगह नहीं है।

वहां नए छत्तीसगढ़ की कल्पना कैसे की जा सकती है। प्रदेश का पहला अंग्रेजों के ज़माने का स्कूल राजकुमार कॉलेज जहां पढ़कर न जाने कितने बच्चे इंजीनियर और डॉक्टंर बने, लेकिन आज वही स्कूल सरकारी कार्यों के विलम्ब के चलते एक बच्चे के जीवन को पिछले तीन सालों से अधर पर लटका दिया है।
दरअसल यह मामला है शिरीष पाठक का है जिसका शिक्षा के अधिकार के तहत राजकुमार कॉलेज में कक्षा-दूसरी में दाखिला हुआ था। लेकिन वार्षिक परीक्षा के दौरान सरकार के तरफ से मिलने वाले फंड में देरी होने के चलते शिरीष को परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया। इतना ही नहीं जब सरकार की तरफ से फंड देने नोडल अधिकारी गए तब न चेक लिया, न ही बच्चे को वापस परीक्षा में बैठने दिया गया। वहीं पिछले तीन सालों से छात्र अपने पढ़ाई पूरी कर सके इसके लिए पार्षद से लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक से मिन्नतें कर चुका है। सिवाय निराशा और आश्वासन के उसे कुछ नहीं मिला। नतीजन शिरीष घर में बैठकर पांचवीं कक्षा की पढ़ाई करने को मजबूर है। एक तरफ राजकुमार कॉलेज स्कूल सरकारी नियमों को दरकिनार कर अपनी मनमानी कर रहा, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी इस पर सख्त कार्रवाई करने के बजाय अपनी आंखों मूंदकर बैठे हैं।


शिक्षा के अधिकार के तहत छात्र शिरीष का दाखिला हुआ था। इतना ही नहीं सरकारी विलम्ब के चलते फीस जमा नहीं हो पायी इसका खामियाजा शिरीष को इस कदर भुगतना पड़ रहा है कि वह पिछले तीन सालों से घर में बैठकर पढ़ रहा है। टी.एस बाबा चाहे तो बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन उन्होंने इस पर कोई मदद नहीं की मंत्री की हठधर्मिता के चलते छात्र शिक्षा से वंचित हो रहा है। जहां एक तरफ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार करोड़ों रूपए फूंक रही है कि हर बच्चा पढ़ सके, लेकिन शिक्षा के वंचित शिरीष को न्याय नहीं मिल पाया है।

(जल्द अगली कड़ी)

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