बिलासपुर । कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन से महीनों तक लोग घर में कैद रहे और इस वजह से सैकड़ों लोगों के दिमाग पर इसका असर पड़ा। ऐसे सैकड़ों लोगों की मानसिक दशा बिगड़ने का सबसे ज्यादा लाभ शहर के मनोरोग चिकित्सकों को हुआ है। सेंदरी स्थित मेंटल हॉस्पिटल के कुछ एक डॉक्टरों ने अपने नाम अथवा अपने रिश्तेदारों के नाम पर शहर में क्लीनिक खोल रखी है । अचानक से इन क्लिनिको में मनोरोगियों की संख्या बढ़ गई है। सुबह शाम यहां कतारें लगाई जाने लगी है। इस बढ़ती भीड़ को देखकर मनोरोगी डॉक्टरों की लार टपकने लगी और उन्होंने नए-नए तरीके से इनको लूटने के धंधे इजाद कर लिए हैं। प्रशासन को चाहिए कि महामारी के इस दौर में मनोरोगी डॉक्टरों की इस लूट खसोट पर अंकुश लगाए।
मरीज जाए चूल्हे में..
मनोरोगी चिकित्सकों के क्लीनिक में मरीजों के सैनिटाइज करने की और महामारी से सुरक्षात्मक नियमों के पालन करने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने इसके लिए कोई उपाय नहीं किए हैं।
डॉक्टर सुरक्षा घेरे में..
महामारी के इस दौर में कमाने का मोह डॉक्टरों ने नहीं छोड़ा और डॉक्टर एक कमरे में बैठकर दूसरे कमरे में मरीज को बिठाता है। बीच में पॉलिथीन का परदा होता है और माइक के जरिए मरीज से बातचीत की जाती है। डॉक्टर डिस्टेंस मेंटेन करके अपनी सुरक्षा तो कर ले रहा है लेकिन मरीज बाहर में भीड़ लगाकर बैठ करके अपनी जान को दांव पर लगाकर यहां इलाज करा रहा है।