बिलासपुर.आपातकाल की वर्षगांठ पर लोकतंत्र सेनानी संघ परिवार सम्मेलन का आयोजन 26 जून को राजधानी रायपुर में होगा। संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से कहा कि प्रदेश का हर एक मीसाबंदी हमसे जुड़ा है।
इनकी ज्यादा मांग भी नहीं है, क्योंकि आपातकाल के दौरान जिन्होंने खुद ही गर्व से जेल जाना स्वीकार किया है वे मांगते नहीं है। बस जो सम्मान उन्हें मिल रहा है वो सम्मान की तरह ही मिलना चाहिए। जो दिया है वह समय पर मिलें। प्रदेश सरकार मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए 2008 से सम्मान निधि दे रही है। स्वास्थ्य सुविधा समेत जो सुविधाएं दी जा रही है इसमें कई बार सरकारी प्रक्रियाओं के चलते देरी होती है। इसलिए इसकी प्रक्रिया काफी सरल रखनी चाहिए।
आपातकाल,पाठ्य पुस्तकों में पढ़ाएं..
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि देश में 26 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया था। उस दौरान पूरे देश में 50 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, इस दौरान स्वतंत्रता सेनानियों ने जो सहा उसे आने वाली पीढ़ी को भी जानना बहुत जरूरी है। इसलिए इसे इतिहास को पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाए।
सवालों में घिरे उपासने..
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेसवार्ता में स्वतंत्रता सेनानियों की पीड़ा भी बताते रहे लेकिन इसके लिए सरकार के खिलाफ बोलने से भी बचते रहे। मध्यप्रदेश और छग में स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली सम्मान निधि में अंतर के सवालों में घिर गए। मध्यप्रदेश और प्रदेश में जो सम्मान मिलता है उसमें अंतर है। मप्र में सरकार सम्मान राशि के रूप में 25 हजार रुपए दे रही है जबकि प्रदेश में कहीं 8 हजार तो कहीं 10 हजार दे रहे हैं। दूसरी ओर राजधानी रायपुर में 8 महीने से सम्मान निधि नहीं मिलने पर ही सरकार की बजाए स्थानीय अधिकारियों को इसका कारण बताया।