‘विजया पाठक’
25 मार्च 2020 संपूर्ण देश में लॉकडाउन के चलते देश में उद्योग कारखाने वाहन बंद है हाईवे सड़के सुनसान है एक तरफ लॉकडाउन सभी लोगों को काफी परेशानियां हो रही है वहीं दूसरी तरफ देश का पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ है हवा पानी सब साफ है जो नदियां जैसे गंगा यमुना सारे समय प्रदूषण के कारण प्रदूषित होती हैं वह आज 10- 12 दिन में इतनी साफ हो गई है कि आज तक नहीं हुई है।
हमारी सरकारें हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी इन नदियों को साफ नहीं कर सकी लॉकडाउन में साफ हो गई हैं वहीं देश की आबोहवा भी काफी स्वच्छ हो गई है कारखाने और वहां से निकलने वाले काले धुएँ से देश के महानगर वर्ष भर प्रदूषण में किस तरह डूबे रहते थे। वह आज बिल्कुल साफ है जैसा की ये ताज़ा आंकड़े बताते है ! सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, 2018 और 2019 के मुकाबले 5 मार्च, 2020 से मुंबई और पुणे के वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर 45% और अहमदाबाद में 50% या इससे अधिक गिरा है। हालांकि देश की राजधानी दिल्ली में अब तक कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं देखा गया है। दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10, दोनों प्रदूषक संतोषजनक श्रेणी में हैं और क्रमश: 52 और 92 पर हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, “हवा की गुणवत्ता जल्द ही ‘अच्छी’ श्रेणी में आने की संभावना है। यह वाहनों के यातायात में कमी और तापमान में वृद्धि के कारण है। लॉक डाउन ने हमें एक बात तो सिखा दी है कि देश में पर्यावरण सुधार के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है मेरा सुझाव है कि आने वाले समय में प्रत्येक माह में कम से कम 2 दिन का लॉकडाउन जरूर लगाया जाना चाहिए।
यह हमारे पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक है l साथ ही हमारे जीवन के लिए भी जरूरी है कुछ परेशानियां जरूर आएंगी लेकिन जीवन स्वस्थ रहेगा, तो जहांन भी बेहतर होगा कोरोना वायरस के आगे पूरी दुनिया की रफ्तार थम गई है लोग अपने अपने घरों में कैद हैं इसी बीच पूरी दुनिया के से प्रदूषण के कम होने की खबरें लगातार आ रही हैं दरअसल कोरोना वायरस के चलते भारत में इक्कीस दिनों का लॉकडाउन किया गया है। जिसके कारण लगभग सभी उद्योग बंद है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि शहर की हवा को दूषित करने में 50% ज्यादा योगदान वाहनों का ही है। कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा बदल रही है। भारत में हर तरह के प्रदूषण में खासी कमी आई हैl शहरों की हवा की गुणवत्ता 19 मार्च तक ही अच्छी और संतोषजनक श्रेणी में आ चुकी है। तीन-चार महीने पहले ही उत्तर भारत के जो शहर दम घोटू हवा में जकड़े थे। वह अशुद्ध भाग में सांस ले रहे हैं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार योगदान के कारण पावन गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है इन दिनों उसका प्रदूषण कम हो रहा है लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी जाता मॉनिटरिंग सेंट्रो में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के लिए लागू यातायात संबंधी प्रतिबंध और कामकाज बंद किए जाने से देश में प्रदूषण के स्तर में खासी कमी आई है। गंगा काफी स्वच्छ होती आ रही है आज गंगा नदी का पानी में नहाने के पानी में काफी सुधार देखा गया स्टेशन पर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा प्रति लीटर हो गया है इसके अलावा पीएच का स्तर 6. 5 और 8. 5 के पीछे जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है। सीपीसीबी के रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग डाटा के अनुसार उसकी 36 मॉनिटरिंग यूनिटों में से 27 के आसपास पानी की गुणवत्ता वन्यजीव और मछलियों के लिए उपयुक्त पाई गई है इससे पहले जब गंगा नदी के पानी की मॉनिटरिंग हुई थी। तब उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश में कुछ एंट्री प्वाइंटस पश्चिम बंगाल की खाड़ी में जाने तक पूरे रास्ते नदी का पानी नहाने के लिए भी ठीक नहीं था परंतु आज गंगा नदी ही नहीं अन्य सभी नदियों के जल स्तर में सुधार हुआ है और पर्यावरण भी काफी हद तक शुद्ध हुआ है आज पर्यावरण प्रदूषण भी मानव जाति के लिए एक भयानक संकट की ओर इशारा कर रहा है आने वाले समय में यह किसी महामारी से कम नहीं होगा। इसलिए इस महामारी से सीख लेते हुए हमें और हमारी सरकार को आने वाले समय के लिए भी रणनीति तैयार करना चाहिए मेरा मानना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर संयुक्त भागीदारी से माह में दो दिवस का संयुक्त रूप से लॉक डाउन किया जाना चाहिए जिससे पर्यावरण में संतुलन होगा और आने वाले समय में हम किसी भयावह स्थिति का सामना नहीं करेंगे आज इस विषम परिस्थिति से हमें सीख लेकर आगे के लिए सबक लेना चाहिए।