बिलासपुर. कोरोना संक्रमण के आकड़ो में हो रहे इजाफे के बाद सेंट्रल जेल से पैरोल पर छुटे सजायाफ्ता कैदियों को दुबारा जेल प्रबंधन द्वारा बुलाए जाने से कैदियों और उनके परिजनों के माथे पर चिंता की लकीर खिंचती नजर आ रही है। कैदियों और उनके परिजनों का कहना है कि दूसरे राज्यो की तर्ज पर छतीसगढ़ में भी पैरोल की अवधि को 2 माह के लिए बढ़ाया जाए। जेल में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेहद खराब है ऐसे में अगर कोई कैदी जेल में वापस जाता हैं तो उसके सामने मौत दिखाई दे रही है। कैदियों और उनके परिजनों ने अपनी व्यथा से कलेक्टर को अवगत करा प्रदेश की राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है।
कोरोना काल भूपेश सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा कहि सजायाफ्ता कैदियों को न उठाना पड़ जाए। सेंट्रल जेल के साथ प्रदेश की अन्य जेलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति काफी खराब है। रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा के दौरान सजायाफ्ता कैदियों के परिजनों ने बताया कि एमपी,उड़ीसा,पंजाब और हरियाणा समेत अन्य जेलों के सरकार ने कोरोना के मद्देनजर पैरोल की अवधि को 60 दिन और आगे बढ़ा दिया है। लेकिन छतीसगढ़ राज्य और सेंट्रल जेल प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।
1 दिसंबर से कैदियों को वापस जेल बुलाया जा रहा है। जबकि जेल की चार दिवारियो के भीतर कोरोना से बचाव की कोई समुचित व्यवस्था नही है। जेल से पैरोल पर फिलहाल 500 सौ से अधिक सजायाफ्ता कैदी बाहर है। कैदियों के परिजनों का कहना है कि इस समय कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है और दिनों दिन महामारी की चपेट में आने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए 60 दिन पैरोल की अवधि और बढ़ाया जाए। इधर पत्रकारों से बातचीत के बाद कैदियों के परिजन कलेक्ट्रेट गए और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौप कर अपनी मांगों को जायज ठहराया है।