बिलासपुर. शिक्षा कर्मियों के संविलयन की महत्वपूर्ण मांग चुनावी वर्ष में सियासी श्रेय लेने की वजह से अटकी हुई है। इस बहाने भाजपा अपना महासंघ बनवाना चाहती है।
मिली जानकारी के अनुसार भाजपा की रमन सरकार ने बजट पेश कर दिया लेकिन शिक्षा कर्मियों के लिए कुछ नहीं दिया। इसमें उम्मीद थी कि शिक्षा कर्मियों के आंदोलन के बाद दिए आश्वासन को सरकार पूरा करेगी लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि संविलियन के बाद शिक्षा कर्मचारी महासंघ और मजबूत हो जाएगा जिसकी कमान सत्ता और संगठन के किसी अहम ओहदेदार के हाथ में नहीं है। कल फिर कोई विवाद हुआ तो सरकार की और किरकिरी होगी। इसलिए इस बार केन्द्रीय स्तर पर भारतीय मजदूर महासंघ की तरह प्रदेश में भी शिक्षा कर्मियों का महासंघ बनवाने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सक्रिय किया गया। इसके लिए संघ सर्मथित कुछ एक शिक्षा कर्मियों को एकजुट करके राष्ट्रीय शिक्षा कर्मचारी महासंघ बनाया। इसका अध्यक्ष स्वयं सेवक गोपाल यादव को बनाया गया। बताते हैं बलौदा बाजार के श्री यादव शिक्षा कर्मचारी भी नहीं हैं। इन पोस्टिंग कहीं और प्राचार्य के तौर पर है। इस नए महासंघ के जरिए सभी शिक्षा कर्मचारी संगठनों को जोडऩे की कोशिस की गई और कहा गया कि इससे जुडक़र सीएम से संविलियन की मांग करने पर वह तत्काल पूरी हो जाएगी। इसकी बैठक में आए संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि क्या गारंटी है कि जुडऩे के बाद मांग पूरी हो जाएगी। इसलिए पहले बहुप्रतीक्षित संविलियन की मांग पूरी की जाए फिर हम सब जुड़ जाएंगे। बजट के पूर्व जब आरएसएस की यह कोशिस पूरी नहीं हुई तो संविलियन की मांग भाजपा सरकार ने अटका दी।