रायपुर.विजयादशमी अभी करीब बीस दिन दूर है लेकिन छत्तीसगढ़ में रावण बनकर तैयार है। रावण का क्या स्वरूप होगा, वह कैसा दिखाई देगा और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उसका दहन किया जाएगा…? एक बात तो तय है कि छत्तीसगढ़ का यह रावण दशानन तो नहीं होगा। डर्टी सीडी कांड के मुख्य आरोपी कैलाश मुरारका ने जिस प्रकार के संकेत दिए हैं, उसके मुताबिक वह वैश्य समाज का हो सकता है और वह रंगीन कपड़े नहीं पहनता है। महंगी गाड़ी में चलता है। प्रदेश के बड़े-बड़े रसूखदारों से उसका नाता है और समाज की बैठकों में समाज सुधार की बड़ी-बड़ी बातें करता है।
अगर कैलाश मुरारका की इन बातों को सच भी मान लिया जाए तो प्रश्न यह है कि इस गंदे खेल में समाज प्रमुख का क्या फायदा है। लोहा बेचते-बेचते वह प्रदेश का बड़ा उद्योगपति बन चुका है। एक योग गुरु का दामन थामकर उसने सत्ता के गलियारों में ऐसी पैठ जमा ली कि उसे इस गंदे खेल में पडऩे की जरूरत ही नहीं थी लेकिन लगता है कि कैलाश मुरारका की तरह वह भी इस गंदे खेल का मोहरा ही निकलेगा। पूरा सीडी काण्ड भाजपा की आंतरिक राजनीति, गुटबाजी और गंदी प्रतिस्पर्धा का चित्र दिखाता जा रहा है।
यह सर्वविदित है कि समाज और सत्ता में कैलाश मुरारका के माई-बाप मौजूद हैं। वह उन्हीं के इशारों पर नाचता रहा है। शायद यही वजह है कि उसने उन्हें भगवान राम मान लिया था लेकिन जब शिकंजा कसा तो उसके माई-बापों ने अपनी गर्दन बचाई और मुरारका की गर्दन फंसवा दी। इसके बाद ही मुरारका का अपने माई-बाप रावण दिखाई देने लगे। स्वाभाविक है मुरारका को बड़ा धोखा मिला है क्योंकि सीबीआई का कहना है कि डर्टी सीडी बनवाने के लिए मुरारका ने 75 लाख रुपए खर्च किए हैं। जो लोग मुरारका को करीब से जानते हैं, वे यह भी जानते हैं कि मुरारका की इतनी हैसियत नहीं है कि वह डर्टी सीडी बनवाने के लिए खुद से 75 लाख रुपए खर्च कर सके। तय है कि यह बड़ी रकम उसे किसी बड़े रईसजादे ने उपलब्ध कराई क्योंकि वह पिक्चर के फ्रेम में सीधे तौर पर नहीं आना चाहता था।
सीबीआई भी कैलाश मुरारका के पास जाकर ठहर गई। थोड़ी और मेहनत करती तो उसके हाथ सत्ता के रसूखदारों तक जरूर पहुंच जाते परंतु आगे के खतरे को देखकर उसने कैलाश मुरारका के बाद पूर्ण विराम लगा दिया। जबकि सच्चाई यह है कि कैलाश मुरारका और समाज में मुरारका का वह रावण केवल मोहरे हैं, जिन्होंने थोड़े से फायदे के लिए अपना इस्तेमाल करा लिया। थोड़ी मेहनत की जाए और सीबीआई की तरफ से अदालत में प्रस्तुत की गई गवाहों की सूची को बारीकी से देख लिया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि यह गंदा खेल कहां से कौन संचालित कर रहा था।
इस पूरे घटनाक्रम के उद्गम स्थल तक जाने की फिलहाल किसी में हिम्मत नहीं है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, कैलाश मुरारका और उसके रावण तक इस मामले का पटाक्षेप कर दिया जाएगा। शायद झीरम नरसंहार की तरह शायद ही कोई जान पाए कि सच्चाई क्या है और इसके षड्यंत्रकारी कौन हैं। यह तो तय है कि भाजपा के अंदर जिस तरह की सिर-फुटव्वल की स्थिति है, वह आगे चलकर एक बड़े विस्फोट का रूप धारण करेगी। जिन जिम्मेदार नौकरशाहों की सलाह पर इस तरह के आत्मघाती घटनाक्रमों को अंजाम दिया जा रहा है, उससे भाजपा की लुटिया डूबती हुई तय दिख रही है क्योंकि यह पब्लिक है…सब देखती और जानती है।
डर्टी सीडी काण्ड की कुछ परतें खुली हैं, जिसमें यह तो साफ होता जा रहा है कि इसमें सीधे तौर पर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की कोई भूमिका नहीं है। प्रदेश की ढाई करोड़ आबादी की दिलचस्पी अब इस बात पर है कि आखिरकार क्या वजह थी कि इस तरह की गंदी सीडी बनाने की नौबत आ गई।
इसके पीछे राजनीतिक विद्वेष था या फिर व्यवसायिक नुकसान, इसका खुलासा होना अभी बाकी है। वैसे खुलासा तो इस बात का भी नहीं हो पाया है कि राज्य सरकार के रणनीतिकार एक शराब कोराबोरी के ठिकानों पर आयकर का छापा कैसे पड़ गया। छापे के बाद वहां से क्या मिला और किसका मिला तथा उस छापे के बाद वह शराब कारोबारी पिक्चर से कहां गायब हो गया।
बहरहाल कैलाश मुरारका के खुलासे के बाद सत्तारूढ़ दल में हड़कम्प मचा हुआ है। उसने यह भी कहा है कि अभी बड़े चेहरे बे-नकाब होने बाकी हैं। इस दहशत में सरकार का अगला कदम देखने योग्य होगा। आखिरकार मुरारका चुप होगा या पूरी तरह चुप हो जाएगा…इस पर सबकी नजर जरूर रहेगी।