सुपर सीएम के चहेते सुनील मिश्रा लगे गोटी बिठाने में..

रायपुर. भारतीय वन सेवा 1994 बैच के अफसर सुनील मिश्रा का नाम कभी चूल्हा कांड में आया था. जैसा कि भाजपा की सरकार में वन अफसरों को महत्वपूर्ण और मलाईदार विभागों में पदस्थ करने की परम्परा रही है सो वे भी जल्द ही सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक बना दिए गए.

चार साल से अधिक समय तक पदस्थ रहने के दौरान उन्होंने निवेशकों को आकर्षित करने के नाम पर धुंआधार विदेश यात्राएं की, मगर उसका कोई फायदा छत्तीसगढ़ को मिला हो ऐसा नजर नहीं आया.अब सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सामाजिक कार्यकर्ता यह जानने में जुटे हैं कि उन्होंने मंत्रियों और अन्य अफसरों के साथ कहां-कहां की यात्रा की. कुल कितने करोड़ रुपए फूंके और यात्राओं के बाद कौन सी अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई. बहरहाल उनकी चर्चा यहां इसलिए भी हो रही है क्योंकि जब भूपेश बघेल ने वन अफसरों की घर वापसी का अभियान चलाया तो विवादों में घिरे रहने वाले अनिल राय, अरुण प्रसाद के साथ-साथ वे भी बच निकले. अभी वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं. हाल के दिनों में उनके करीबी मनीष कश्यप को दुर्ग का क्षेत्रीय अधिकारी बना दिया गया है. कश्यप की इस पदस्थापना के साथ ही यह भी कहा जाने लगा कि पर्यावरण संरक्षण मंडल में अब भी सुपर सीएम का दिमाग काम कर रहा है.

चंद रोज पहले जब नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट आई तब सुपर सीएम का सुपर कम्प्यूटर घोटाला उजागर हुआ था. ऊर्जा और पर्यावरण विभाग से सुपर सीएम का अति प्रेम भी किसी से छिपा नहीं है. यहां यह बताना जरूरी है कि जब सुपर सीएम पर्यावरण संरक्षण मंडल का कामकाज देखते थे तब नियमित रुप से छत्तीसगढ़ के भयभीत रहने वाले अखबारों में यह खबर प्रकाशित होती थी उनकी अगुवाई में प्रदूषण का स्तर घट गया है. हकीकत यह थी प्रदूषण कभी घटा ही नहीं था. कल-कारखानों और भारी-भरकम वाहनों का प्रदूषण तो व्याप्त था ही उसके कहीं ज्यादा प्रदूषण छत्तीसगढ़ की राजनीति में पसर गया था.

बहरहाल जिस मनीष कश्यप का जिक्र इस खबर में हुआ है उनके बारे में इतना ही बताना काफी है कि उन्हें सुपर सीएम ने सेवा भर्ती नियमों के प्रावधानों से विपरीत जाकर कार्यपालन अभियंता से अधीक्षण अभियंता बना दिया था. नियमानुसार अधीक्षण अभियंता बनने के लिए पांच साल का अनुभव ( कार्यपालन अभियंता बने रहने का ) चाहिए है, लेकिन कश्यप महज दो साल ही कार्यपालन अभियंता रहे और अधीक्षण अभियंता बनने में कामयाब हो गए. इस बारे मे पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव सुनील मिश्रा से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सारी कार्रवाई मंत्री के स्तर पर हुई है. मंत्री ही चाहते थे तो मैं क्या कर सकता हूं. सीएसआईडीसी में पदस्थापना के दौरान की गई विदेश यात्राओं और उसके निचोड़ को लेकर सुनील मिश्रा ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी श्रेष्ठ किया है उसका लेखा-जोखा सीएसआईडीसी में मौजूद है.

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