रायपुर. पत्रकार राजकुमार सोनी की दो पुस्तक भेड़िए और जंगल की बेटियां, बदनाम गली के विमोचन समारोह के मौके पर छत्तीसगढ़ से मौजूद जनसमूह ने पुस्तकों की बिक्री का रिकार्ड कायम किया है। किसी भी हिंदी लेखक के लिए संचार क्रांति के खौफनाक दौर में जब पठनीयता खत्म होती जा रही है, यह सुखद है. इससे स्पष्ट हुआ कि शब्द की सत्ता बरकरार है। सच को सच की तरह लिखने वालों का सम्मान कायम है।
24 मार्च को रायपुर के सिविल लाइन स्थित वृंदावन वन हॉल में आयोजित समारोह में देश सुप्रसिद्ध आलोचक सियाराम शर्मा ने कहा कि शब्द ठंड से नहीं मरते। कई बार शब्द साहस की कमी से मर जाते हैं और कई बार बेमतलब की नमी से भी दम तोड़ देते हैं. उपन्यासकार मनोज रुपड़ा ने कहा कि आज के समय में खड़े रहना ही डटे रहना है। लेखक बसंत त्रिपाठी ने कहा कि लेखक सोनी ने जहां बदनाम गली में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पड़ताल की है वहीं भेड़िए और जंगल की बेटियां नामक पुस्तक में यह बताया है कि छत्तीसगढ़ किस तरह से लूटतंत्र का हिस्सा बन गया है। उपन्यासकार तेजिंदर गगन ने सोनी को मनुष्यता के पक्ष में डटे रहने वाला लेखक बताया। कथाकार कैलाश बनवासी ने सोनी के कविता- कहानी, नाटक और पत्रकारिता के दौर को याद किया। पत्रिका के राज्य संपादक ज्ञानेश उपाध्याय ने कहा कि अभी भेड़ियों को पकड़ने का काम बाकी है। भेड़ियों को पकड़ने के लिए जिस साहस और तेवर की जरूरत है वह राजकुमार सोनी के पास मौजूद हैं और हमें लेखक के साथ खड़े और डटे रहना है। छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की ओर से आयोजित इस समारोह का कुशल संचालन कल्पना मिश्रा ने किया। सर्वप्रिय प्रकाशन कश्मीरी गेट दिल्ली से प्रकाशित दोनों किताबें फिलहाल अमेजॉन डाट इन से ऑनलाइन मंगवाई जा सकती है। दोनों पुस्तकें रायपुर के पुराना बस स्टैंड स्थित रामचंद्र बुक स्टाल पर भी उपलब्ध है।