दुर्ग.एक ही दिन मे देश व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सडक़ दुर्घटना से होने वाली सैकड़ों मौतों की खबर सुनकर दिल दहल जाता हैं कितनी राष्ट्रीय क्षति होती हैं अनुमान लगाना मुश्किल है एक दुर्घटना एक परिवार का इतिहास बदल देती हैं।
एक पल जो बच्चे Convent मे पढ़कर कुछ बनना चाह रहे थे बड़े बड़े सपने देख रहे थे नामी गिरामी संस्थानों मे पढ़ रहे थे मुखिया की सड़क दुर्घटना मे जान चले जिने से कुछ ही दिनों मे सड़क पर आ जाते हैं।भविष्य अंधकार मे डूब जाता हैं हंसती खिलखिलाती दुनिया उजड़ जाती हैं।
सडक़ दुर्घटना में हम नामचीन डॉक्टर, वैज्ञानिक,इंजीनियर, प्रोफेसर, नेता, अधिकारी इत्यादि खोने से परिवार व समाज को तो अपूर्णीय क्षति होतीही है लेकिन देश को भी बहुत बड़ी क्षति होती हैं।
ऐसी दुर्घटनाओं के अन्य कारणों के साथ मुख्य कारण वाहनों की तेज रफ्तार हैं।चाहे वो बाइक हो, कार हो,बस हो ,ट्रक हो।
ज्यादातर दुर्घटना के शिकार बाईक सवार ही हो रहे हैं।इन सबको रोकने के अन्य उपायों के अतिरिक्त कुछ ये उपाय ज्यादा कारगर होंगे।
जैसे-सभी प्रकार के वाहनों का विनिर्माण के समय ही गति सीमा अधिकतम 80 से 90 किमी.पर फिक्स कर दिया जाए।यदि वाहन की स्पीड लिमिट 150 किलोमीटर है तो वो मौका मिलते ही 150 की स्पीड मे चलायेगा ही।और दुर्घटना होने की संभावना बढ़ेगी ही
बाइक की डिजाइन इस प्रकार कर दी जाए कि उस पर दो सवारी से ज्यादा किसी भी हालात में नहीं बैठ पाए। जब बाइक पर बैठने के लिए तीन चार की जगह बनाई गई हैं तो मौका देखकर इतने बैठायेगा ही और दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।