बिलासपुर.हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा एडीजी पवन देव के पक्ष में दिए गए आदेश पर पूर्णतः रोक लगा दी है। साथ ही उन्हें और डीजीपी,गृह सचिव को शपथ पत्र देने का आदेश दिया है |
प्रकरण की सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि सरकार, IPS पवन देव को बचाने की कोशिश कर रही है तथा पवन देव हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में 45 दिन के भीतर कार्यवाही करने के आदेश से बचने के लिए कैट से स्टे लिया गया जो अवैध है। इस पर उच्च न्यायालय द्वारा 11 जुलाई के पूर्व गृह सचिव एवं डीजीपी को पवन देव के विरुद्ध की गई कार्यवाही से अवगत करने हेतु शपथ पत्र दाखिल करने निर्देशित किया है ।
ये है माम
ला..
महिला
सिपाही से यौन उत्पीड़न के आरोपी एडीजी और तत्कालीन बिलासपुर आईजी पवन देव के मामले की जांच श्रीमती रेणु पिल्लई IAS की अध्यक्षता में गठित इंटरनल कंप्लेंट कमेटी द्वारा की गई थी। इस कमेटी ने आरोप को सत्य पाया एवं दिसंबर 2016 में अपनी रिपोर्ट शासन को दी थी। उस रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं होने पर पीड़िता ने उच्च न्यायालय में रिट दायर की, इसकी सुनवाई कर हाईकोर्ट ने 45 दिनों के भीतर एडीजी देव पर करवाई करने का आदेश पारित किया था। इसी बीच सरकार ने एडीजी को बचाने के लिए उनके खिलाफ अप्रैल 2018 में एक नई चार्जशीट जारी कर दी ताकि दिसंबर2016 की रिपोर्ट का महत्व खत्म हो जाए, जो कि लैंगिक उत्पीडन एक्ट 2013 के भी विरुद्ध है।
कैट से ले लिया स्टे
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केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में लंबित प्रकरण में एडीजी पवन देव ने यह प्रार्थना की थी कि सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में जारी चार्जशीट खारिज की जाए। पवन देव द्वारा पीड़िता को उक्त प्रकरण में पक्षकार भी नहीं बनाया गया था। अप्रैल 2018 में जारी चार्जशीट पर स्टे मांगने हेतु दायर अंतरिम आवेदन पत्र पर बहस करते समय एडीजी देव ने अधिकरण से दिसंबर 2016 की रिपोर्ट पर हो रही कार्यवाही पर स्टे का आदेश प्राप्त कर लिया
आखिर में ये हुआ
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कैट से स्टे के खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट में प्रकरण दायर किया जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही एडीजी पवन देव को भी नोटिस जारी किया गया।