बिलासपुर. भाजपा के शाहजादे का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि अब उस पर शाट्गन का मुंह उलट कर दनादन बत्ती दे रहा है। अटल सरकार के वित्त मंत्री यशवंत के तेवर से बेक फुट पर आई मोदी सरकार को समझ में आना चाहिए कि कांग्रेस को पत्रकारों का सहयोग और इसके सहारे सत्ता आसानी से क्यों मिलती है। यह समझने के लिए अमित शाह के पुत्र जय शाह बनाम द वायर की वेब पत्रकार रोहणी सिंह के मामले की तह में जाना पर्याप्त होगा।
धन्य हो टीम अटल
अटल सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के नोटबंदी, जीएसटी के मुद्दे पर बड़बोली केन्द्र सरकार पहली बार डिफेंस में आई और उसने जीएसटी में सुधार किया। ठीक वैसा ही सुधार, जैसा एक बार सब्जी जल जाने के बाद उसमें फिर से तडक़ा लगाया जाए। बेशर्मी की हद तो देखो कि मामूली सुधार को पन्द्रह दिन पहले दिवाली बताया जाने लगा। अरे भाई, गल्ती भी तो आपने ही की थी न । उसे सुधार लिया तो इसमें काहे कि खुशी। शुक्र मानो पब्लिक का कि उसने आपके लिए कोई सजा तय नहीं की है।
शाहजादे को छोड़ सब मौसी के
अरे भाई, आप पूरे देश को ईमानदारी के लिए चमकाते फिर रहे हो। फिर शहजादे की जांच कराने से काहे कतराना। ईडी, सीबीआई,जैसी जांच एजेंसियां सिर्फ विरोधियों के लिए हैं क्या। गुजरात चुनाव सिर पर है और ऐसे में /द वायर/ की रिर्पोट ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय की कंपनी की सोलह हजार गुना तरक्की का मसला सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। भले ही तीन दिनों तक इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने इस पर चुप्पी साधी रखी लेकिन मसला जंगल में आग की तरह फैल तो गया है ना। इस पूरी रिर्पोट में भाजपा के शाहजादे के खिलाफ कहीं आरोप तो है ही नहीं। केवल कंपनी के आंकड़ों की जादुई तरक्की को पत्रकार रोहणी सिंह ने लिखा है। सरकार के महाधिवक्ता की अगुवाई में बिना नोटिस फोटिस के सीधे सौ करोड़ की मानहानि का मुकदमा(शायद आपराधिक) करना ,क्या एक तरह से पत्रकारों का मुंह बंद कराना नहीं माना जाएगा। आप यही तो चाहते हो न कि सब गोदी मीडिया हो जाए पर ऐसा हो नहीं पा रहा है तो बौखलाहट होगी ना। हालाकि केस में शाह के वकील तय समय पर नहीं पहुंचे और पिता भी सफाई दे रहे हैं पर सोचो गुजरात चुनाव नहीं होता तो और क्या क्या नहीं करते। अब इसी महिला पत्रकार ने काग्रेस के दामाद वाड्रा की कंपनी का लेखा जोखा सार्वजनिक किया था तो इसी भाजपा ने उसकी पत्रकारिता की कसमें खाई थी. अब उसके शाहजादे पर कलम चल गई तो पत्रकारिता की कसमें तेल लेने चली गई। आप ही बताओ, क्या यह सियासी दोगलापन नहीं है।
कांग्रेस को इसलिए मीडिया का साथ
मीडिया कांग्रेस को बेनकाब करे तो सदाचार और भाजपा को पेल दे तो भक्त उसे अनाचार कहेंगे ना। शायद यही वजह है कि मीडिया वक्त बेवक्त कांग्रेस की तरफ झुकना इसीलिए पसंद करता है क्योंकि वह उसके काम में कभी रुकावट खड़ा करने की नहीं सोचती। कांग्रेस की सहिष्णुता ही है जो अपने खिलाफ लिखे को सह लेती है लेकिन भाजपा प्रतिक्रिया पर उतर आती है।
ये कहती हैं रोहणी सिंह
द वायर की पत्रकार रोहणी सिंह ने कहा कि उन्होंने कोई बहादुरी नहीं की है बल्कि पत्रकारिता की है। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ खबर पर इन्हीं भाजपाइयों ने उसे बहादुरी बताया था पर सरकार के खिलाफ सवाल करना हमारा काम है। तब भी हमने अपना काम किया था और अब भी एक रिर्पोट पर काम किया जिसे पत्रकारिता कहते हैं। रजिस्टार कंपनी के दस्तावेज निकालकर अध्ययन रिर्पोट सामने रखी गई है। उन्हें इस दौर में सुरक्षित रहने कहा गया और भारी दबाव था।
शाट्गन फिर चली दनादन
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बाद बिहार की शाट्गन यानी शत्रुघ्र सिन्हा ने फिर एक बार बताया कि बिहारी किसी से नहीं डरते । फिर से हमला करते हुए कहा कि पार्टी के अस्सी फीसदी लोग चाहते थे कि देश के राष्ट्रपति लालकृष्ण आडवानी बनें । इससे पहले उन्होंने भाजपा के शहजादे के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की थी और इस बारे में मीडिया की चुप्पी को आड़े हाथों लिया था।
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मनोज शर्मा
(पूर्व अध्यक्ष)
प्रेस क्लब, बिलासपुर
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