बिलासपुर. वो कहते है न किसी का बुरा वक्त बता कर नही आता पहले एक्सीडेंट में पैर की हड्डियां टूटी सरकारी अस्पताल में इलाज के अभाव में प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती किया गया तो वहां भी बदनसीबी ने साथ नही छोड़ा और डॉक्टर-स्टाफ की लापरवाही से उसकी मौत हो गई। खाकी वर्दी पहन विभाग की सेवा के दौरान जो दर्द मिला क्या उससे ये कम था कि मौत के बाद भी घंटो लाश पीएम के लिए डॉक्टरों की राह तकती रही। इधर जिस पुलिस विभाग में अपने काम के लिए जाने जाते थे उसी विभाग के किसी अधिकारी ने एक बार देखना तक मुनासिब नहीं समझा।
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करीब 15 साल पुलिस विभाग में सिपाही की नौकरी करने के बाद मौत आई भी तो अपने विभाग और डॉक्टरों की अनदेखी का तमाशा बनाना पड़ा।मंगलवार की शाम कोटा मार्ग पर सड़क दुघर्टना में अपने एक अन्य साथी के साथ बुरी तरह घायल होकर तिफरा इंडस्ट्रीयल एरिया के प्राइवेट महामाया हॉस्पिटल इलाज के लिए भर्ती हुए वीरेंद्र सिंह मेरावी पहले तो डॉक्टर व स्टाफ के ठीक तरह से ट्रीटमैंट नही करने से मौत की गोद मे समा गया। महामाया हॉस्पिटल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का गंभीर इल्जाम लगने के बाद भी पुलिस कर्मी के साथ न्याय नहीं हुआ पीएम के लिए सिम्स में उसकी बेबस लाश 5 धंटे से ज्यादा पोस्टमार्टम की होने के लिए तरसती रही।
सिम्स प्रबंधन ने मृतक के साथियों को अपना तर्क दिया कि डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप है इसलिए 5 डॉक्टरों की टीम तैयार की जा रही है जो मृतक का बाकयदा वीडियो ग्राफी कर पीएम करेंगे। इधर सुबह 10 बजे से लेकर सूरज के ढलने का टाइम पास आता जा रहा था मगर कोई डॉक्टर मरचुरी तक नही आया। अपने अपने सोर्स से मृतक के साथियों ने इधर उधर घण्टी घुमाई तो पता चला कि अभी कुछ देर और लगेगा क्योंकि जो डॉक्टरों की टीम बनाई गई थी उसमें से एक कोरंनटाइन वाला निकल गया है। वीरेंद्र सिंह की लाश फिर मरचुरी में पड़ी डॉक्टरों की राह ताकने लगी उसके साथी पुलिस कर्मी उमस भरी गर्मी में एक शेड के नीचे बैठे रहे। इधर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करने में जुटे परिजन भी हलाकान हो रहे थे कि आखिर पुलिस विभाग में होने के बावजूद पीएम में इतना विलंब क्यों..?
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अगर ऐसा है तो किसी न किसी हॉस्पिटल में दुनिया मे ईश्वर रूपी डॉक्टर्स की लापरवाही से मरने वालों का क्या होता होगा। सुबह से शाम होने को आई पीएम के लिए डॉक्टर्स तो दूर की बात पुलिस विभाग का कोई अफसर तक झांकने को नही आया जबकि वीरेंद्र सिंह के एक्सीडेंट से लेकर मौत की खबर से हर कोई वाकिब था। उसके साथी पुलिसकर्मियों को सिम्स प्रबंधन की लेटलतीफी को लेकर काफी गुस्सा तो आ रहा था मगर वो भी विभागीय कार्रवाई के डंडे के डर से चुपचाप तमाशा देखते रहे।
कुछ अधिकारियों का प्रयास रहा असफल..
वीरेंद्र सिंह की मौत की खबर के बाद सिम्स में पीएम को लेकर हो रही देरी की सूचना विभाग के अफसरों को मिल गई थी एक अधिकारी ने डॉक्टरों से चर्चा कर जल्द पीएम की प्रक्रिया शुरू करवाने का प्रयास भी किया मगर उन्होंने जिसे इसकी जिम्मेदारी दी थी वह पुलिस अधिकारी सिम्स पहुचा ही नही इधर महामाया हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रमोद जायसवाल और उनके स्टाफ की लापरवाही के चलते मौत की गोद लेटे आरक्षक की सुध उन अफसरों ने भी नही ली जिनके लिए वह दिन रात भाग दौड़ कर काम किया करता था इस बात की चर्चा वीरेंद्र सिंह की लाश देख हर कोई कर रहा था।
हॉस्पिटल में लगा शहर के डॉक्टरों का जमावड़ा..
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महामाया हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर प्रमोद जायसवाल और उनके स्टाफ पर आरक्षक का लापरवाही पूर्वक इलाज करने का आरोप लगने की खबर जैसे ही शहर नामी गिरामी डॉक्टरों को लगी सभी एक एक कर महामाया हॉस्पिटल पहुचने लगे थे इनमें एक डॉक्टर भी शामिल थे जिनके हॉस्पिटल के दो कर्मचारियों पर एक युवती ने रेप करने का आरोप लगाया है।
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