महाराष्ट्र में चव्हान बंधुओं में घमासान, विदर्भ में खिलाफत

  • *शिवा कुमार*
  • नई दिल्ली.महाराष्ट्र में कांग्रेस अध्यक्ष पद को बचाये रखने के लिए अशोक चव्हाण सारी तिकड़में भिड़ा रहे हैं, मगर सतीश चतुर्वेदी, नितिन राउत और अनीश अहमद की तिकड़ी उनको हर जगह पटकनी दे रही है। पिछले तीन साल के अपने कार्यकाल में अशोक चव्हान महाराष्ट्र कांग्रेस का कबाड़ा कर चुके हैं। भाजपा के साथ उनके रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं जो उनके लिए भ्रष्टाचार के मामले में राहत देने का काम कर रहे हैं। भाजपा से उनका ये गुपचुप गठजोड़ राहुल गांधी के संज्ञान में आ चुका है। विगत तीन वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक न बुला पाने वाले अशोक चव्हान अब दुबारा अध्यक्ष बनने के लिए हर मुमकिन कोशिशों में जुटे हैं। इसी कड़ी में हाईकमान पर दबाव बनाने की दृष्टि से समूचे महाराष्ट्र के छह डिविजनों में ‘जनआक्रोश रैली‘ के नाम से मेढ़ावा ले रहे हैं। इसकी शुरूआत उन्होंने अमरावती के एक फीके कार्यक्रम से की।

सूबे के कार्यकर्त्ताओं और नेताओं का सहयोग उनको न के बराबर मिल रहा है। ऐसी रिपोर्ट जनआक्रोश-रैली के कोर्डिनेटर सुरेश भोएकर ने दी। भाजपा से कांग्रेस में आए भोएकर और रविंद्र देरेकर ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हान को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में रैली के फेल होने की संभावना व्यक्त करते हुए उसके लिए विजय वडेतीवार को ही जिम्मेदार ठहराया। महाराष्ट्र में ऐसी चर्चाएं आम है कि अशोक चव्हान ने अपनी पिछले कार्यकाल में नगर परिषद, जिला परिषद, मनपा के टिकट वितरण में जमकर माल कमाया और भाजपा से मिलीभगत कर चुनावों में दूसरे दर्जे के कांग्रेसी प्रत्याशियों को टिकट बांटे। प्रदेश भर के कार्यकर्त्ता और कांग्रेसी नेता उनकी इस हरकत से बेहद नाराज हैं जिसकी दिल्ली तक शिकायतें पहुंचती रही हैं। नागपुर में मनपा के टिकट वितरण व चुनावों में अशोक चव्हान के इन्ही कारगुजारियों की वजह से उनका मुंह काला किया गया था। सड़े हुए अंडे और टमाटर से पिटाई भी की गई थी।
आम कांग्रेसी का कहना है कि भाजपा से निजी रिश्तों की वजह से मुख्यमंत्री देेवेंद्र फडनवीस के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार पर चव्हान ने अपना नरम रूख कायम रखा है, वहीं फडनवीस भी उनसे दोस्ती निभाते रहे हैं। नागपुर में संघ के मुख्यालय होने की वजह से वे कांग्रेस को यहां कमजोर रखना चाहते हैं। यही वजह है कि नागपुर से मुखर कांग्रेसी नेता व 78-80 के दौर के यूथ कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी के साथ पूर्व सांसद गेअवाड़ी, पूर्व मंत्री व एनएसयूआई अध्यक्ष अनीश अहमद, विदर्भ में दलित नेता के रूप में एक अलग पहचान बनाने वाले नितिन राउत अशोक चव्हान का जबर्दस्त विरोध करते रहे हैं। इतना ही नहीं चव्हान की कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा समय-समय पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिखाते और बताते रहे हैं। जबर्दस्त विरोध के साथ इन नेताओं ने अशोक को नागपुर में घुसने तक नहीं दिया। स्थिति ऐसी हो चुकी है कि प्रदेश अध्यक्ष रहने के बावजूद भी विदर्भ स्थित नागपुर में उतरने का साहस तक जुटा नहीं कर पा रहे हैं.
चव्हान अब राहुल के नजदीक बने बिचौलिए टाइप नेता अलंकार के माध्यम से दूसरा कार्यकाल चाहते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद से भी दोस्ती बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने यावतमल का जिला अध्यक्ष वजाहत मिर्जा को बनाकर आजाद को साधने की पेशबंदी की है। विदित हो कि गुलाम नबी आजाद पिछले पांच महीनों से महाराष्ट्र में राहुल गांधी के कहने से अघोषित रूप से कांग्रेस को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। इसका असर भी सूबे में दिख रहा है। मालेगांव, परभनी, भिवंडी और नांदेड़ में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने में आजाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आजाद ने ओवैसी के एमआईएम के 9 कार्पोरेटरों को तोड़ा, पुराने कांग्रेसी जो अशोक चव्हान के बुरे व्यवहार की वजह से भाजपा में चले गए थे, उसकी पार्टी में वापसी करवाई। परभनी में तो कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओं ने पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष ही अशोक चव्हान के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी और साफ शब्दों में कहा था कि चव्हान के रहते सूबे में कांग्रेस का भला कभी नहीं हो सकता।
नागपुर से नकारे गए और मुंह काला कर भगाए गए अशोक अब तक वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं। अब उन्होंने नया अखाड़ा नागपुर डिविजन से 200 किलोमीटर दूर चंद्रपुर को बनाया है जहां 6 नवंबर को एक मीटिंग रखी गई है।
*यहीं फंस गए अशोक* उनकी जनआक्रोश रैली की तैयारी पूर्व सांसद नरेश पुगलिया के आक्रोश के सामने फीकी नजर आ रही है। उनकी इस रैली की तैयारी के कमांडर बने विजय वडेतीवार भाजपा के सरकारी मित्र के जरिए राज्यमंत्री का दर्जा पाकर बंदरकूद कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने चंद्रपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर इंदिरा गांधी जन्मशताब्दी समारोह के आयोजक यूथ कांग्रेस के नेता राहुल पुगलिया पर भाजपा में जाने के संगीन आरोप भी लगाए थे। राहुल पुगलिया यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव भी रहे हैं और विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं। विदर्भ मजदूर कांग्रेस इंदिरा गांधी की शहादत दिवस 31 अक्तूबर से लेकर उनकी जन्मशताब्दी दिवस 19 नवंबर तक लगातार प्रतिदिन विभिन्न रचनात्मक सांस्कृतिक, गतिविधियों से इंदिरा गांधी की शताब्दी समापन समारोह का आयोजन कर रही है। इस आयोजन को युवा नेता राहुल पुगलिया अपने यूथ कांग्रेस के साथियों, मनपा के सभासदों, शहर कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं और जिले के लब्धप्रतिष्ठित लोगों के साथ मिलकर आयोजित कर रहे हैं।
वडेतीवार अशोक चव्हान के प्रतिनिधि के तौर पर जनशताब्दी समारोह को जनआक्रोश रैली की आड़ में स्थगित करने के लिए दवाब बना रहे थे और सार्वजनिक रूप से इस प्रकार के कार्यक्रम की आलोचना की थी। इस राजनीतिक साजिश को अंजाम देने के लिए पुगलिया परिवार का संबंध भाजपा से दिखाने की कोशिश भी की गई। इन आरोपों से तिलमिलाए पूर्व सांसद और गांधी परिवार के झंडाबरदार नरेश पुगलिया ने खुली चुनौती अगले ही दिन वडेतीवार को दी और उनके आरोपों का जवाब भी उसी अंदाज में दिया। पुगलिया ने बताया कि वडेतीवार ने कैसे पासपोर्ट-फर्जीवाड़ा किया और फर्जी कंपनियों के नाम पर 80 हजार सालाना आयकर भरने वाले इस महानुभाव ने अशोक के मंत्रीमंडल में रहते किस प्रकार से सिचाई से खिंचाई कर अकूत संपत्ति जमा की। उनके दिल्ली, नागपुर, मुंबई एवं अन्य शहरों के रिहाइशी इलाकों में आलीशान मकान के मालिक बनने की पूरी रामकथा और काला चिट्ठा भी सार्वजनिक तौर पर खोल कर रख दिया। पुगलिया का दावा है कि कभी अपनी संपत्ति का एक पेज में ब्यौरा देने वाले वडेतीवार ने पिछले विधानसभा चुनाव में 42 पेज का हलफनामा चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसी से वडेतीवार की आर्थिक हैसियत का पता चलता है। अब इसकी शिकायत लखनऊ के एक एनजीओ ‘लोकप्रहरी‘ के साथ नागपुर के आरटीआई एक्टविस्टों ने सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाने का प्रयास कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों के मामले में ऐसे मालामाल नेताओं की नकेल कसने की पूरजोर कोशिश देश की सर्वोच्च अदालत कर रही है। ऐसे में अशोक चव्हान और उनके कमाऊ पूत विजय वडेतीवार का हाल ही वही होने के आसार हैं जो पूर्व मंत्री छगन भुजबल, लालू कुनबा भुगत रहा है।
इनकी शिकायतें सीबीडीटी और ईडी तक भी पहुंची हैं। बिना कारोबार के आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने वाले अशोक और उनके सखा पर अदालती शिकंजा कभी भी कस सकता है। वैसे अशोक चव्हान आदर्श घोटाले मामले में अभी भी जेल के मुहाने में खड़े हैं। मुख्यमंत्री फडनवीस और उनके मंुहबोले जीजा सुधीर मुनगंतीवार कब तक उनका बचाव कर पाएंगे, ये तो भविष्य बताएगा, लेकिन चंद्रपुर में 6 नवंबर की चव्हान टीम द्वारा आयोजित होने वाली जनाक्रोश रैली को कड़ी चुनौती जरूर मिल रही है। अशोक चव्हान पूर्व मुख्यमंत्री होने की वजह से और वर्तमान मुख्यमंत्री ंके सहयोग से चंद्रपुर के जिलाधिकारी को दवाब में लेकर पूर्व सांसद नरेश पुगलिया की रैली स्थल बदलवाने में तो कामयाब रहे लेकिन विदर्भ से अपने विरोधियों को पूर्व सांसद द्वारा आयोजित किए जाने वाले इंदिरा जन्मशताब्दी समारोह में जाने से रोक पाने में अब तक नाकामयाब रहे हैं। पूर्व मंत्री सुनील केदार, सतीश चतुर्वेदी, नितिन राउत, अनीश अहमद, शिवाजी राव मोघे, पूर्व सांसद गेवअवाड़ी, पूर्व स्पीकार वसंत पुर्के, मुखर और वर्धा से दलित विधायक काले व अन्य कई पूर्व विधायक पहले से तय इस समारोह में सम्मिलत होने की सहमति प्रदान कर चुके हैं। ऐसे में चंद्रपुर में चव्हान एंड कंपनी की 6 नवंबर को तथाकथित रैली और स्थानीय नेताओं की सहमति लिए बगैर अचानक रखे गए इस कार्यक्रम में उनकी फजीहत तय है। अशोक चव्हान इस रैली में मोहन प्रकाश और राहुल के सिपाहसलार गुलाम नबी आजाद को बुलाकर अपना दबदबा दिखाना चाहते हैं। मोहन प्रकाश तो मुंबई भी पहुंच चुके हैं. राहुल की ताजपोशी के पहले अपनी ताजपोशी के लिए अशोक चव्हान की बेताबी महाराष्ट्र ही नहीं, कांग्रेस मुख्यालय में केंद्रीय नेताओं को भी अचंभित किए हुए है। सूत्रों की माने तो गुजरात से सटी महाराष्ट्र सीमा के 25-30 विधानसभा क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों का जनाधार है.
8 नवंबर को नोटबंदी और जीएसटी के खिलाफ राहुल के निर्देश पर अभी तक महाराष्ट्र कांग्रेस ने अब तक कोई तैयारी शुरू नहीं की है लेकिन अशोक विरोधी खेमा नागपुर में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ जबर्दस्त हमला करने की पूरी तैयारी में हैं। इसकी पूरी रूपरेखा पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी, नितिन राउत और अनीश अहमद की तिकड़ी करो-मरो की तर्ज पर काम कर रही है। जानकारी के अनुसार विदर्भ विरोधी बने अशोक चव्हान के राजनीतिक विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हान और सांसद राजीव सातव मंच पर मौजूद होंगे।

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