बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के बीच असम के सिलचर में 50 वर्षीय दुलोन दास असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की मदद से भारतीय नागरिकता पाने वाले बांग्लादेश के पहले प्रवासी बन गए हैं. भारत के गृह मंत्रालय ने दुलोन दास को मंगलवार को नागरिकता मिलने की सूचना दी है.
सर्टिफिकेट लेने के लिए उन्हें गुवाहाटी में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय जाने के लिए कहा गया है. दुलोन दास के वकीलों के मुताबिक उन्होंने CAA की मदद से 1 अप्रैल 2024 को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था.
दुलोन का जन्म 1974 में बांग्लादेश के सिलहट जिले में हुआ था और उनके परिवार ने देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से त्रस्त होकर 1988 में असम में शरण ले ली थी. वकीलों ने मंगलवार को मीडिया को बताया, “1986 में दास के पिता ने बांग्लादेश के सिलहट जिले के एक गांव में 8000 टका (बांग्लादेश की मुद्रा) खर्च करके जमीन खरीदी थी लेकिन उसके तुरंत बाद उन पर कई हमले हुए और वे देश छोड़कर चले आएं.” दुलोन दास 1996 से असम में भारतीय नागरिक के तौर पर मतदान भी कर रहे हैं और उनके परिवार के सदस्यों के पास आधार कार्ड, बैंक खाते और अन्य सभी दस्तावेज हैं. वकीलों ने कहा, “उन्होंने NRC के लिए आवेदन नहीं किया. लेकिन उन्हें पता था कि वे 1971 के बाद असम आए हैं और इसी वजह से दास ने CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया.”
असम से अब तक कुल 8 लोगों ने CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया है और उनमें से 2 ने अपना आवेदन वापस ले लिया है. मंगलवार को वकील धर्मेंद्र देब ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि 2 आवेदन वापस लेने के बाद CAA के तहत 6 आवेदनों की गृह मंत्रालय द्वारा समीक्षा की जा रही है और 4 और लोगों के पास जल्द ही नागरिकता मिलने की उम्मीद है.
आवेदनों की संख्या में कमी
केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में आम चुनावों की घोषणा से ठीक पहले CAA के नियम जारी किए थे. अब तक इसके लिए काफी कम आवेदन आए हैं. BJP ने दावा किया है कि केंद्र सरकार द्वारा CAA की मदद से स्थानीय आवेदकों को नागरिकता देना शुरू करने के बाद आवेदनों की संख्या में इजाफा होगा.