बिलासपुर.देश मे महिलाओं के अस्तित्व को बचाने अलग अलग तरह की लड़ाई महिलाओं द्वारा लड़ी जा रही हैं केंद्र और राज्य सरकार महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार लेकर कानून तो बना रही लेकिन इस ओर आज भी जंग जारी है हाल ही में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज की महिला नारी शक्ति की एक जोरदार आवाज नारी के अस्तित्व की कहानी नारी की जुबानी सुनने को मिली बोल थे श्रीमती वर्षा अवस्थी के जिन्होंने अपने इस व्यक्तव्य से जमकर तालियां बटोरी।
‘ईश्वर रूपी है यह शरीर जिसमें अस्तित्व अभी जिंदा है हा,हा कठिन है रास्ते जरूर लेकिन हौसले अभी जिंदा हैं मारने वाले तो कई हैं क्योंकि इंसान एक परिंदा हैं लेकिन बच पाएगा वहीं जो कह पाएगा हां,हां मेरा अस्तित्व अभी जिंदा है।
मान नहीं तो क्या हुआ स्वाभिमान अभी जिंदा हैं हां मेरा अस्तित्व अभी जिंदा है,क्यों डाला जाता है उम्मीदों का बोझ क्यों बांधी जाती है बेड़ियां क्यों नहीं साहस जुटा पाती और कुछ कर पाती है चूड़ियां।
मुझे न कैद करो सोने के पिंजरे में तुम आजाद हूं मैं उड़ने भी दो अब तो खुले गगन में तुम,क्यों प्रयास करते हो हर पल मेरे अस्तित्व को मिटाने का क्यों नहीं देते एक मौका मुझे भी नाम कमाने का,माना की नाजुक हूं मैं लेकिन कमजोर नहीं हूं,जानती हूं जिंदगी संघर्षों का पुलिंदा है।
लेकिन मजबूर हूं मैं क्या करूं मुझमें भी अस्तित्व अभी जिंदा है,क्यों नहीं समझा जाता मेरे सपनों को अखंड ज्योतियों की तरह जो जलाए जाते हैं मन्नतों की पूर्ति के लिए क्यों मोम की बाती सा समझकर फूंक दिया जाता है अपने उपयोग के लिए।
यू तो कहने को अधिकारों की धनि हूं मैं पर क्या कभी कोई निर्णय ले सकी हूं,मैं कहा जाता है निर्णय क्षमता की कमी है मुझमें,क्या करूं प्रेम और ममता की धनि हूं मैं,हां हां प्यारा है मेरा स्वाभिमान मुझको क्योंकि सराहनीय है।
मेरे अपनों के द्वारा दिया अपमान मुझको अपनेपन का नकाब ओढ़े,ना जाने कितने अपनों से मुझे रौंदा है फिर भी जी रही हूं क्या करूं,मुझ में अभी अस्तित्व जिंदा है मुझ में भी अस्तित्व अभी जिंदा है।