बिलासपुर. शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगा फर्जी शिकायत कर घण्टों थाने में बिठाने के मामले में हाईकोर्ट ने रिटायर्ड डीएसपी और अरपा पार के कांग्रेस नेता समेत एक अखबार के प्रबंधन को हाईकोर्ट की अवमानना का दोषी माना है।
सामाजिक कार्यकर्ता मणि शंकर पाण्डेय के द्वारा कांग्रेस नेता बसंत शर्मा, तत्कालीन सरकंडा थाना प्रभारी अनिल तिवारी (रिटायर्ड डीएसपी) और एक अखबार के प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना याचिका को जस्टिस सामंत की एकल पीठ ने स्वीकार कर लिया है।मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता बसंत शर्मा ने मणि शंकर पाण्डेय पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगा कर सरकंडा थाने में शिकायत की थी।जिसके बाद पुलिस ने मणि शंकर पाण्डेय को हिरासत में लेकर 4 घन्टे से अधिक थाने में बिठा दिया था जबकि इस मामले ने मणि शंकर पाण्डेय को पहले ही हाईकोर्ट से स्टे मिल गया था जिसमे पुलिस को कोई एक्शन नही लेने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था इसके बाद भी सरकंडा पुलिस ने मणि शंकर पाण्डेय को बसंत शर्मा की शिकायत पर हिरासत में लिया था।वही सोमवार को जस्टिस सामंत की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कांग्रेस नेता बसंत शर्मा, रिटायर्ड डीएसपी अनिल तिवारी और एक अखबार प्रबंधन को अवमानना का दोषी पाया है।
एक नजर घटनाक्रम पर..
कांग्रेस नेता बसंत शर्मा ने 25 मार्च 2017 को मणि शंकर पाण्डेय के खिलाफ सरकंडा थाने में ब्लैकमेलिंग का आरोप लगा कर एफआईआर दर्ज कराई जिसके बाद मणि शंकर ने हाईकोर्ट से 3 अगस्त को स्टे ले लिया वही 4 अक्टूबर को कांग्रेस नेता पुनः थाने पहुचे और मणि शंकर का स्टे हाईकोर्ट से खारिज होने की गलत जानकारी पुलिस को दी जिसके बाद 5 अक्टूबर को अखबार प्रबंधन ने खुलेआम घूम रहा ब्लैकमेलिंग का आरोपी हेडिंग के साथ खबर छापी इस खबर के बाद सरकंडा पुलिस ने 11 अक्टूबर को मणि शंकर पाण्डेय को फिर हिरासत में लिया और घण्टों थाने में बिठाए रखा।मालूम हो कि अखबार ने तत्कालीन एएसपी नीरज चंद्राकर से मणि शंकर को हिरासत में लिए जाने के पुष्टि के बाद ही खबर प्रकाशित की थी।