इस 200 एकड़ के फार्म में उगाए जाते है 800 किस्म के आम, यहां 400 साल तक पुराने पेड़ भी है मौजूद

जगदलपुर। भारत में कुछ दिनों में फलों का राजा आम का सीजन आने वाला है. आम खाने के शौकीनों को बेसब्री से इस फल का इंतजार होता है. आम का सीजन आते ही छत्तीसगढ़ के आम के बाजारों में दूसरे राज्यों से बड़ी मात्रा में आम बेचने के लिए लाए जाते हैं. बस्तर में इंद्रावती नदी तट के किनारे डोंगाघाट गांव में प्रदेश का सबसे बड़ा आम का बगीचा है, यहां आम की 800 से ज्यादा प्रजातियों के फल मिलते हैं.

बता दें कि यहां मौजूद पेड़ों में बैगनपल्ली, तोताफल्ली, कमली ,दशहरी ,सुंदरी और अल्फाजो जैसे कई तरह के आम फलते हैं. इनमें 95 फीसदी देसी आम होते हैं. आम के सीजन में आसपास के ग्रामीणों के लिए यह आय का मुख्य स्त्रोत भी है. सीजन में लगभग 200 से ढाई सौ परिवार इस बगीचे में फलने वाले आम पर निर्भर रहते हैं.

गौरतलब है कि 150 से 200 एकड़ क्षेत्र में फैले इस आम के बगीचे में कुछ पेड़ों की उम्र करीब 300 से 400 साल हैं. आम के सीजन में इन पेड़ों में पत्ते कम और आम ज्यादा दिखते हैं. डोंगाघाट और आसपास के गांव के ग्रामीण आम तोड़कर स्थानीय आम के बाजारों के अलावा फूटकर व्यापारियों को भी बेचते हैं. साथ ही उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी वो इस आम की बिक्री करते हैं. खास बात यह है कि बस्तर के इस बगीचे के देसी आम की मिठास काफी ज्यादा होती है, इस वजह से सीजन आते ही बस्तर के आम की डिमांड बढ़ जाती है. डोंगाघाट के रहने वाले स्थानीय ग्रामीण बताते है कि इस आम के बगीचे में आम तोड़े नहीं जाते हैं. प्राकृतिक रूप से नीचे गिरने पर ही ग्रामीण इसे उठाकर बेचते हैं. आम के सीजन में यहां हर पेड़ में केवल आम ही आम नजर आता है.

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