बिलासपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर युवाओं के मन में द्वन्द है. युवा मानते हैं कि गांधी अच्छे तो हैं लेकिन वे व्यवहारिक हैं या नहीं इस बात का संदेह भी उनके मन में है और ये संदेह इसलिए है क्योंकि लम्बे समय से गांधी को लेकर दुष्प्रचार किए गए, उनके विचारों पर लगातार सुनियोजित कुठाराघात किया गया है. भारत में गांधी की वैसी पूछ-परख नहीं है जैसी बाकी दुनियाभर में है. इसका प्रमाण है।
महात्मा गांधी के 150वें वर्ष में फिलिस्तीन द्वारा जारी किया गया डाक टिकट. सच्चा गांधीवादी वही है जो घर से निकले, रचनात्मक कार्य करे, जो केवल शब्दों की क्रान्ति तक सीमित न रहे. यह बातें दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. प्रदीप कांत चौधरी ने “मजबूती का नाम महात्मा गांधी” संगोष्ठी में कहीं.
महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के अवसर पर गुरूवार को लखीराम ऑडिटोरियम में वक्ता के तौर पर उपस्थित प्रो. चौधरी ने कहा कि विचार के स्तर पर समाज की तीन धाराओं दक्षिणपंथी धारा, मध्यवर्गीय धारा और वामपंथी धारा सभी ने महात्मा गांधी को लेकर अपने-अपने तरीके से बातें कही हैं.
दक्षिणपंथी धारा में कुंठा की भावना से जन्मे आरएसएस जैसे कट्टर संगठन हैं जिसने गांधी को हिन्दू विरोधी और मुसलमानों का हितैषी साबित करने की कोशिश की है. जबकि उनसे जुड़ी कई घटनाएं उनका जीवन अपने आप में प्रमाण है कि इस देश में महात्मा गांधी से बड़ा हिन्दू शायद ही कोई हो.
मध्यवर्गीय धारा में अम्बेडकरवादी आते हैं जिन्होंने आंबेडकर और गांधी के बीच एक दीवार खड़ी कर दी है जबकि गांधी और आंबेडकर की कार्यशैली में कई समानताएं हैं जैसे दोनों ने ही समुदाय आधारित न्याय की बात की, दोनों ने ही धर्म की सहायता से ही जीवन बेहतर बनाने की बात की और दोनों ने ही अहिंसक व प्रतिरोध का मार्ग चुना. महात्मा गांधी की ही तरह आंबेडकर ने भी हथियारबंद क्रान्ति की कभी बात नहीं की. तीसरी है वामपंथी विचारधारा जिसने महात्मा गांधी को कभी कभी मजदूर और किसान विरोधी बताया जबकि गांधी ने समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े ग़रीब व्यक्ति के लिए न्याय पर ही हमेशा ज़ोर दिया है.
इससे पूर्व जिला काँग्रेस कमिटी की ओर से आयोजित संगोष्ठी की शुरुआत करते हुए जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी, काँग्रेस प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव व शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर ने अथिथियों का स्वागत किया. संगोष्ठी के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ रागिनी नायक ने कहा कि एक साज़िश के तहत महात्मा गांधी के साथ मजबूरी जैसे शब्दों को जोड़ा गया है. हमें इसे रोकना है और ये भरपूर कोशिश करनी है कि आज से कमजोरी को नहीं बल्कि मजबूती को महात्मा गांधी कहा जाए. उन्होंने कहा कि गांधी के विकास का माडल किसी एक व्यक्ति के लालच को पूरा करने वाला नहीं बल्कि सबके विकास का माडल था. गांधी को कमज़ोर कहने वालों को ये नहीं भूलना चाहिए कि अहिंसा किसी कायर का काम नहीं है.
अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के सचिव व छत्तीसगढ़ सहप्रभारी चंदन यादव ने आभार संबोधन देते हुए कहा कि केंद्र सरकार आज देश में एक महापुरुष के सामने दुसरे महापुरुष को को प्रतिद्वंदी की तरह स्थापित करने की कोशिश कर रही है. जबकि इस देश में नेहरु, गांधी, पटेल, सुभाष, भगत सिंह, आंबेडकर आदि सभी की साझा कोशिशों से आज़ादी आई थी. सभी का अपना महत्व है. केंद्र सरकार की इस साज़िश को हमें समझना है और इसे नाकाम करना है.
अंत में सवाल जवाब का दौर चला जिसमें उपस्थित लोगों ने गांधी को लेकर अपनी जिज्ञासा को सवालों के रूप में वक्ताओं के समक्ष रखा.
100 तस्वीरों में समेटी गांधी की जीवनगाथा
लखीराम ऑडिटोरियम परिसर में महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के अवसर पर चित्र प्रदर्शनी लगाई गई. आधारशिला विद्यामंदिर की ओर से राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय द्वारा संकलित “गांधी – 150” के अंतर्गत महात्मा गांधी के जीवन व कार्यों पर आधारित 100 चित्रों का प्रदर्शन किया गया. इन चित्रों के माध्यम से उनके जन्म से लेकर मृत्यु तक की गाथा कही गई.