छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित नान घोटाला…
क्या छत्तीसगढ़ सरकार को अनिल टुटेजा जैसे दागी अफसर के कारण फिर से उठानी पड़ेगी शर्मिदंगी?
क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे दांगी,दोषियों पर कार्रवाई?

विजया पाठक..
प्रदेश के बहुचर्चित नान घोटाले के प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला का मामला रायपुर न्यायालय में माननीया जज श्रीमती लिना अग्रवाल की अदालत में चल रहा है। प्रदेश के नान घोटाले की अदालती कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है और इसके साथ ईडी भी इसमें शामिल हो चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले पर जांच कर रही है। विगत् 28-29 को (ईडी) के समन से दिल्ली में अनिल टुटेजा से पूछताछ की गई।

खबर यह भी है कि पूछताछ बहुत सघन रही है एवं भविष्य में आरोपी को और भी बुलाया जा सकता है। वहीं भी तब जब आयकर के ताजा पड़े छापों में भी अनिल टुटेजा का नाम है। गौरतलब है कि यह केस हाईकोर्ट बिलासपुर में जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की अदालत में चल रहा है एवं इस पर आदेश आने वाला है। इससे पहले अनिल टुटेजा एवं आलोक शुक्ला की अंतरिम जमानत में पहले राहत हुई थी। अब अग्रिम जमानत के फैसले को सुरक्षित रख दिया गया है। इस मामले में केस नं. MCRCA 469/2020 एवं MCRCA 484/2020 की सुनवाई दिनांक 10/07/2020 एवं 14/07/2020 को पूरी हो गई एवं आदेश को सुरक्षित कर दिया गया है।
अनिल टुटेजा, जो कि वर्तमान में संयुक्त सचिव के पद पर वाणिज्य एवं उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ शासन में पदस्थ हैं। अब आदेश अगर अनिल टुटेजा के खिलाफ जायेगा तो सरकार की साख पर बट्टा लगेगा। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। यह मामला भी कहीं सरकार की साख पर वैसा ही बटृा न बैठा दे। जैसा कि विवेक डांढ एवं अन्य पर हजार करोड़ के घोटाले को लेकर सरकार के रिव्यू पिटीशन केस क्रमांक REVP-2622/2020 को हाईकोर्ट से खारिज कर दिया गया।

इस मामले में सरकार की काफी किरकिरी हुई, ऐसे ही कहीं अगर हाईकोर्ट का फैसला अनिल टुटेजा के खिलाफ चला जाता है तो फिर से सरकार को यही मानहानि झेलनी पड़ेगी। आखिर सरकार इस दांगी को बचाने का इतना प्रयास क्यों कर रही है। जिस तरह से ईओडब्यू में आरिफ शेख जैसे कनिष्ठ अधिकारी को अपात्रता होते हुए भी कैसे बैठाया गया। जबकि यह पद आईजी स्तर या ऊपर के अधिकारी के लिए है। पूर्व में नान घोटाले की जांच में आईजी जी.पी.सिंह, आईजी एस.आर.पी. कल्लुरी, डीजी बी.के. सिंह एवं डीजीपी डी.एम.अवस्थी जैसे अधिकारी शामिल रहे हैं। जिनके समय आरोपी को अभयदान नहीं मिल सकता था।
फिलहाल छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण पदों पर एक पोस्ट ऊपर करके कनिष्ठ अधिकारी को क्यों बिठाया जा रहा है। यह समझ से परे है। जबकि उस पोस्ट के रेगुलर अधिकारी बहुतायत संख्या में मौजूद हैं। ऐसे दो उदाहरण मैं देना चाहती हूं। पहला खुफिया विभाग का है। एआईजी की है, जिसकी पोस्टिंग डीजी स्तर के अधिकारी की होती है। यहां अभिषेक माहेश्वरी, जो सीएसपी स्तर के अधिकारी हैं और राज्य पुलिस सेवा से आते हैं। उनको एआईजी विभाग में पदस्थ किया गया, जबकि यहां पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के स्तर का होता है। दूसरा उदाहरण कल्पना वर्मा का है। कल्पना वर्मा अभी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर की अधिकारी हैं और इनकी पदस्थापना पुलिस अधीक्षक के रूप में की गई है। अब यह बात बनती है कि क्या राज्य में कोई सक्षम रेगुलर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक नहीं है। जिनकी पदस्थापना इन पदों पर की जाए। ऊंचाई पर किसी अधिकारी को पद पर बिठाकर कहीं जांच प्रभावित करने की कोशिश तो नहीं।
नान घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साल के भीतर कार्रवाई करने के आदेश निचली अदालत को दिए हैं। जिसमें छ: माह का समय और बढ़ाया गया है। अब यह समय सीमा भी खत्म हो गई है। सर्वोच्च्य अदालत के आदेश के बावजूद आदेश निचली अदालत में लंबित क्यो पड़ा है। क्या शासन की तरफ से न्यायपालिका पर दबाव बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक समर्थ नेता हैं। जिनकी छवि एक ईमानदार एवं तेज मुख्यमंत्री के रूप में होती है। यह सब उन्हें लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद मिला है। आपकी जननायक वाली छवि आपको राजनीतिक जीवन में और आगे ले जाएगी। आपसे इन दागी अधिकारियों पर कार्रवाई अपेक्षित है।

दरअसल देश के अंदर भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार इकलौती है, जो पूर्ण बहुमत की सरकार है और प्रदेश के अंदर बेहतर कार्य कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जननेता के रूप में उभरे हैं। पिछले डेढ़ साल में भूपेश सरकार में घपले, घोटाले या भ्रष्टाचार के मामले भी सामने नहीं आए हैं। कहा जा सकता है कि उन्होंने घपले घोटालेबाजों पर अंकुश लगाया है। ऐसे में यदि अनिल टुटेजा जैसे भ्रष्ट आरोपी को बचाने में सरकार ने मदद की तो सरकार की खासकर मुख्यमंत्री की छवि कहीं ना कहीं धूमिल होगी। मैं उम्मीद करती हूं कि प्रदेश के सबसे बड़े नान घोटाले के आरोपियों को सजा दिलाने में सरकार प्राथमिकता से कार्य करेगी। यदि भूपेश बघेल के इसी कार्यकाल में दोषियों को सजा होती है तो प्रदेश के अंदर एक पारदर्शी संदेश जनता तक पहुंचेगा और आने वाले समय में कांग्रेस को जनता के सामने जाने में संबल मिलेगा।

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